गोपालसिंह जोधा
फलसूंड, चिलचिलाती धूप, लू के थपेड़े और उमस..। ऐसे मौसम में घंटों बस का इंतजार करने वाले यात्रियों को कितनी पीड़ा झेलनी पड़ रही है, यह अनुमान लगाया जा सकता है। जिम्मेदारों की लापरवाही का दंश यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। हालांकि फलसूंड उप तहसील है व यहां से दिन भर में दो दर्जन से भी ज्यादा निजी बसों व सरकारी बसों का आवागमन होता है| परंतु इन बसों के संचालन के लिए कोई स्थाई बस स्टेंड की सुविधा नहीं होने से इन वाहनो को जहां मर्जी खड़ा कर देते है जिससे यातायात तो बाधित होता ही है | इसके साथ साथ इस गर्मी में यात्रियों के हाल बेहाल हो रहे हैं |लंबे समय से बस स्टैण्ड की व्यवस्थाएं मुहैया करवाए जाने की मांग उठ रही है, लेकिन धरातल पर कोई प्रयास देखने को नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में हर दिन सैकड़ों यात्री भीषण गर्मी के दौरान कष्ट झेलने के बाद ही सफर करने को मजबूर हैं। फलसूंड से लगभग हर जगह के लिए बसों का आवागमन होता है| फलसूंड चौराहे पर स्थिति बदहाल है, जैसी वर्षों पहले थी। न तो यहां यात्रियों के लिए पेयजल की व्यवस्था है और न ही शौचालय की। गौरतलब है कि यहां से अहमदाबाद,बाड़मेर,बालोतरा, जोधपुर,पोकरण के लिए यहीं से बसें संचालित होती है, जिनमें स्थानीय लोगों के अलावा आसपास क्षेत्र के लोग भी सफर करते हैं।
न तो यहां पर्याप्त छायादार स्थान है और न ही पेयजल के माकूल इंतजाम। गर्मी के मौसम में जिम्मेदारों की ओर से यहां व्यवस्थाएं मुहैया करवाने को लेकर कोई इंतजाम भी नहीं किए हैं। ऐसे में आने जाने वाले आम आदमी का हाल बेहाल है |
