मैं सदन का ध्यान पानी और सूखे की भीषण त्रासदी की जानिब आकर्षित करते हुए सरकार और समाज को उसकी ज़िम्मेदारी का अहसास कराने के लिए खड़ा हुआ हूँ |
माननीय एक अख़बारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 90% बरसाती पानी ज़ाया हो जाता है लगभग 60% प्रदूषित पानी जनता पी रही है,लाखों तालाब अपना अस्तित्व खो चुके हैं |
माननीय,समाजवादी चिंतक डॉ लोहिया ने नदियों को जोड़ने और पानी को रोकने का मशवरा बरसों पहले सरकार को दिया था | पानी देश में एक गौरखधंधा भी बन गया है इस वर्ष बोतल बंद पानी का धंधा लगभग 160 अरब रूपये का हुआ है जो अगले वर्ष तक 200 अरब रुपयों को भी पार कर सकता है | इस वर्ष प्रदूषित पानी पीने से होने वाली बिमारियों के इलाज के खर्च में निजी स्वास्थ क्षेत्र में व्यवसाइयों ने 10 लाख करोड़ कमाए हैं |
शुद्ध पानी को हर व्यक्ति तक पहुंचाने और हर खेत को सिंचित करने के लिए केंद्र सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जल संकट से जूझ रहे उप्र के लिए मुख्यमंत्री जी ने जो 2057 करोड़ की सहायता राशि केंद्र से माँगी थी उसका भी एक अंश भर मात्र 430 करोड़ रूपये के रूप में केंद्र ने सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बाद जारी किया है !
माननीय मैं जानता हूँ कि हर धर्म में जल को जीवन कहा गया है और मेरा क़ुरआन सुराह वाक़ै आयत न. 69 में कहता है कि फ़िज़ूल खर्च करने वालों को शैतान के भाई से बैत किया |
मैं सरकार से यह जानना चाहता हूँ की हर व्यक्ति को शुद्ध पानी मयस्सर हो सके इसके लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है ? और उस योजना की क्या कोई समय सीमा भी है ?
