केंद्र सरकार ने गुरुवार को डीजल की कीमत में प्रतिलीटर पांच रुपए की बढ़ोतरी करने का फैसला किया और प्रति परिवार रसोई गैस के सिलेंडरों की संख्या को हर साल छह तक सीमित कर दिया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) द्वारा लिया गया यह फैसला गुरुवार मध्य रात्रि से लागू हो चुका है। समिति की बैठक मंगलवार को होने की उम्मीद थी, तब स्थगित हो गई थी। डीजल और रसोई ईंधन के मूल्य में जून 2011 से संशोधन नहीं किया गया था।
तेल कम्पनियां पेट्रोल भी वाजिब मूल्य छह रुपए कम पर बेच रही हैं। सरकारी तेल कम्पनियों को नियंत्रित डीजल और रसोई ईंधन की बिक्री से रोजाना 550 करोड़ रुपए का नुकसान होता है और पेट्रोल की बिक्री से रोजाना 16 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। तेल विपणन कम्पनियां डीजल की बिक्री प्रति लीटर 19.26 रुपए घाटे पर, मिट्टी के तेल की बिक्री 34.34 रुपए प्रति लीटर घाटे पर और रसोई गैस की बिक्री 14.2 किलोग्राम के हर सिलेंडर पर 347 रुपए प्रति लीटर घाटे पर करती हैं।
डीजल के दाम बढऩे की वजह से डीजल से यह दिल्ली में अब 46.32 रुपए में, मुंबई में 51.25 रुपए, चंडीगढ़ में 46.94 रुपए, लखनऊ में 49.06 रुपए, पटना में 50.10 रुपए, रांची में 48.18 रुपए और जयपुर में 48.22 रुपए में मिलेगा। पेट्रोलियम मंत्रालय पिछले कुछ समय से लगातार डीजल की कीमत बढ़ाने की वकालत कर रहा था। मंत्रालय के मुताबिक डीजल की कीमतें न बढ़ाए जाने की वजह से तेल कंपनियां 103 लाख करोड़ के नुकसान में थीं। बड़ी बात यह है कि डीजल के दाम बढऩे का सीधा असर खाने-पीने की अन्य चीजों पर पड़ सकता है। ट्रकों द्वारा होने वाली ढुलाई का खर्च बढऩे से आम जरपूरत की अन्य चीजें भी महंगी हो जाएंगी।
रसोई गैस पर भी आम जनता को झटका लगा है। सरकार ने अब इसपर कोटा सिस्टम लगा दिया है। ताजा फैसले के मुताबिक साल में अब सिर्फ 6 सिलेंडर पर ही सब्सिडी मिलेगी। 7वें सिलेंडर से आपको बाजार मूल्य देना पड़ेगा। अभी सिलेंडर की कीमत सब्सिडी के साथ अगर 399 रुपए हो तो इसपर सरकार 347 रुपए की सब्सिडी देती है यानि बिना सब्सिडी के इसकी कीमत 747 रुपए हो जाएगी। कैबिनेट कमिटी की मीटिंग में फिलहाल पेट्रोल और केरोसिन के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं।