महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर हुई प्रदेश-स्तरीय जनसुनवाई; महिलाओं को सुरक्षा देने में सरकार हुई नाकाम
· डेल्टा मेघवाल केस में चालान तुरंत पेश हो.
· जयपुर में दो मासूमों के साथ हुए दुष्कर्म के दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही हो.
· बलात्कार पीड़िताओं की निशुल्क शिक्षा, इलाज और पुनर्वास की उचित व्यवस्था हो.
· पुलिस थानों की कार्य-प्रणाली सुधरे.
· राज्य महिला आयोग का राजनीतिकरण बंद हो.
· महिला काजियों को काम करने का हक मिले.
· तीन तलाक़ बंद हो.
जयपुर, 21 जून. सूबे की सरकार की मुखिया एक महिला होने के बावजूद भी प्रदेश में महिला अत्याचारों में कोई कमी नहीं आई है. प्रदेश की महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहीं हैं विशेषकर दलित व पिछड़ी महिलाएं. पिछले एक हफ्ते में ही जयपुर में दो मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आए. मासूमों के साथ दिनों-दिन दरिंदगी बढ़ रही है और सरकार इन्हें सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है. शहीद स्मारक पर दिए जा रहे ‘जवाब दो’ धरने में आज महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर हुई जनसुनवाई में राज्य सरकार की इस असंवेदनशीलता की प्रदेश भर से आए लोगों ने कड़ी निंदा की.
जनसुनवाई में आए लोगों ने सरकार से मांग की कि डेल्टा मेघवाल मामले के दोषी शारीरिक शिक्षक को ज़मानत न दी जाए. पीडिता के परिवार को 20 लाख का मुआवज़ा व सुरक्षा तुरंत दी जाए. दोषी संस्था प्रधान पर भी कार्यवाही हो. पिछले सप्ताह जयपुर में दो छोटी मासूमों के साथ हुए दुष्कर्म की घटनाओं की महिला जनसंगठनों ने निंदा करते हुए मांग की कि दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी हो. एक माह में चालान पेश हो. पीडिता को पूरा इलाज निशुल्क मिले. उसकी शिक्षा और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए और परिवार को 5 लाख का मुआवज़ा मिले. साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि सभी दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं व बच्चियों के लिए निशुल्क इलाज, पुनर्वास, शिक्षा व रोज़गार सरकार द्वारा दिया जाए. महिलाओं के साथ की गयी पुलिस थानों में मारपीट, महिला हिंसा, बलात्कार, दहेज़ के लिए शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए. ऐसे मामलों पर तुरंत कार्यवाही भी हो. कामगार और श्रमिक महिलाओं के बच्चों के लिए सरकार अलग-अलग क्षेत्रों में निशुल्क डे-केयर सेंटर खोलें. जहाँ उनके स्वास्थ्य, खान-पान और निशुल्क इलाज़ की व्यवस्था हो.
महिला आयोग का राजनीतिकरण हो बंद
महिला जनसंगठनों के प्रतिनिधियों का कहना था कि राज्य महिला आयोग का राजनीतिकरण हो रहा है. उनका कहना था कि सत्ताधारी सरकार ने अपनी ही पार्टी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष को आयोग का अध्यक्ष बना दिया. उन्होंने पुरजोर मांग की कि राज्य महिला आयोग का राजनीतिकरण बंद हो. वर्तमान में राज्य महिला आयोग द्वारा पुराने प्रकरणों की सुनवाई नहीं हो रही है. पीड़िताओं के पुराने प्रकरणों को बंद कर उनसे फिर से अर्जी मांगी जा रही है. जबकि पीड़िताओं की हर समय सुनवाई कर उन्हें रहत पहुँचाना, उन्हें न्याय प्राप्ति में मदद करना राज्य महिला आयोग का कर्त्तव्य है. जनसुनवाई में उपस्थित महिलाओं ने महिला आयोग को इस कदम को शर्मनाक बताते हुए इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना की.
महिलाओं ने बांटा अपना दुःख
पश्चिमी बंगाल से आई और जयपुर में काम कर रही घरेलु कामगार महिला सीमा ने बताया कि वह मालवीय नगर में किराये के कमरे में रह रही थी. 20 जून को मकान-मालिक ने जबरन कमरा खाली करवा लिया. मकान मालिक के बेटे कालू ने न सिर्फ उससे और उसके परिवार से मारपीट की बल्कि उसका सारा सामान बाहर फेक दिया. यहाँ तक कि उसकी दुधमुंही बच्ची का दूध भी छीन कर फेंक दिया. पिछले दो दिन से उसका सामान बाहर पड़ा है. सीमा जब इस मामले की रिपोर्ट मालवीय नगर थाने में दर्ज करवाने गई तो थाने वालों ने भी उसे टरका दिया.
जनसुनवाई में आईं लक्ष्मी, सीमा, कोमल, नम्रता, सरला ने भी अपने साथ हुए अत्याचारों की कहानी प्रदेश भर से आईं महिलाओं के साथ बांटी. फागी (जयपुर) की लक्ष्मी ने बताया कि उसकी सगाई रेनवाल में हुई थी लेकिन बाद में हमें पता लगा कि लड़के का आचरण ठीक नहीं है इस कारण हमने सगाई तोड़ दी. इस बात को लेकर उस लड़के ने मुझे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, इस मामले की रिपोर्ट हमने सांगानेर थाने में दर्ज करवाई लेकिन पुलिस द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी. लक्ष्मी ने बताया कि वह अभी सिर्फ 18 साल की है और आगे पढना चाहती है. जयपुर के सांभर निवासी कोमल ने बताया कि शादी के दस दिनों बाद ही उसके ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करने लगे थे. अभी भी लगातार मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है. चार माह पहले पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया लेकिन ससुराल पक्ष के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई. जयपुर की ही नम्रता खंडेलवाल ने भी अपने साथ हो रही घरेलू हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना की व्यथा बताते हुए कहा कि वह इतनी परेशान हो चुकी है कि उसे अपनी माँ के घर पर रहना पड़ रहा है.
जनसुनवाई में भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन से जुड़ीं निशात हुसैन, राजस्थान की पहली बार बनीं महिला क़ाज़ी जहाँआरा और अफरोज़, राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन और अन्य मौजूद थे. समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह ने कहा कि पिछले दो दशकों से देश में साम्प्रदायिकता ने जोर पकड़ा है और इसके पीछे ज़बरदस्त राजनीति है. उन्होंने कहा कि आज समाज को बांटकर राजनीतिक माहौल बनाया जा रहा है, इस संकीर्णता की राजनीति से हमें बचना चाहिए. उनका कहना था कि प्रदेश में सौहार्द का माहौल कैसे बने इस दिशा में हमें सोचने की ज़रुरत है.
घरेलू कामगार महिलाओं का मिला समर्थन
धरने में राजस्थान महिला घरेलू कामगार यूनियन से जुडी महिलाओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर अपना समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि जयपुर शहर में हमें काम तो मिला मगर पहचान नहीं. हमारे साथ मालिकों द्वारा आये दिन शोषण किया जाता है और जब पुलिस थानों में रिपोर्ट दर्ज करवाने जाते हैं तो सुनवाई ही नहीं होती.
सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की ओर से
मुकेश – 9468862200, कमल – 9413457292, बाबूलाल नागा – 9829165513