चोर की बावड़ी, सलेमाबाद, जिला अजमेर
राजस्थान में सदियों से जल प्रबंधन की परंपरा रही है । राजा महाराजाओं और अन्यों ने अनेक तालाब, बावडियां आदि बनवाये और पानी की कमी को सफलता पूर्वक मैनेज किया । बढ़ती आबादी, बदलते ऋतु चक्र और जीवन शैली के चलते आज ऐसी सैकड़ों बावड़ियां और तालाब या तो सूख चुके हैं या कचरे मलबे से पाट दिए गए हैं । सुदूर क्षेत्रों से पानी लाती बड़ी जल योजनाओं के सामने अब लोगों को इनकी ख़ास उपयोगिता नज़र नहीं आती । ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चले जाने से ये भव्य जल स्रोत अब सूखे पड़े हैं । पर बरसों तक पानी निकालने के ये द्वार भूजल को पुनः रिचार्ज करने का भी उत्तम जरिया बन सकते हैं । बस ज़रूरत है कि आस पास की छतों से साफ़ वर्षा जल इनमें पहुंच दिया जाए । पानी का स्रोत होने के अलावा ये ऐतिहासिक निर्माण हमारी प्राचीन जीवन शैली और सांस्कृतिक परंपरा के भी प्रतीक हैं । पर्यटन के लिए संभाले जा रहे किलों और महलों के साथ साथ इनका पुनरुद्धार और संरक्षण कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति करेगा ।
अजमेर के सुपरिचित इंजीनियर व बुद्धिजीवी अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार
![](https://ajmernama.com/wp-content/uploads/2016/06/chor-ki-bavadi-salemabad.jpg)