नशा पूरी युवा नस्ल को तबाह कर रहा है

नाट्य प्रस्तुतियों ने दिए सकारात्मक संदेश
यूथ एक्टिंग वर्कशॉप का हुआ समापन

DSC06225अजमेर/ नाट्यवृंद थियेटर एकेडमी द्वारा आयोजित दो दिवसाीय 14 घण्टे की ‘यूथ एक्टिंग वर्कशॉप‘ (युवा अभिनय कार्यशाला) का समापन मंगलवार 28 जून, 2016 को सांयकाल ‘रंगमंच उत्सव‘ के साथ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एडीए अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी पाश्चात्य विकृतियों का अनुसरण करते हुए अनेक भ्रांतियों में भटक रही है। नाट्यविधा के प्रशिक्षण और सकारात्मक विषयों पर नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से युवाओं को भ्रांति के दौर से निकाल कर राष्ट्र निर्माण की ओर जोडा जा सकता है। उन्होंने कहा कि नशे आदि के प्रति समाज को जागरूक करने वाले नाटकों के प्रदर्शन प्रदेशभर में होने चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक सुनीलदत्त जैन ने युवा कलाकारों का आव्हान किया कि वे मन की दुविधाओं से उभरकर नाट्यवृंद जैसी श्रेष्ठ संस्थाओं से प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए नाट्यकला के द्वारा समाजोत्थान के प्रयासों को संकल्प के साथ जारी रखें। उन्होंने कहा कि थियेटर में काम करने वाले अभिनेता फिल्म जैसे अन्य क्षेत्रों में कभी भी असफल नहीं होते। नाटक अभिनय कुशलता के साथ-साथ जीवन कौशल भी सिखाता है। आज दूसरे दिन कार्यशाला निर्देशक उमेश कुमार चौरसिया ने प्रोजेक्टर के माध्यम से ‘रस और भाव‘ के विविध पहलुओं की जानकारी देते हुए नवरसों का अभ्यास कराया। कार्यशाला के लिए विशेष तौर पर मंगवायी गयी अमेरिकी थियेटर कम्पनी की एक फिल्म दिखाकर प्रतिभागियों को समझाया कि किस प्रकार हम मन पर नियं़त्रण रखते हुए अपने भावों को पात्रानुसार अभिव्यक्त कर सकते हैं। दूसरे सत्र में प्रसिद्ध रेडियो जॉकी अजय वर्मा ने रोचक अंदाज में अपने अनुभव बताते हुए रेडियो कार्यक्रमों में थियेटर की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट किया। कार्यक्रम का सुमधुर संचालन डॉ पूनम पाण्डे ने किया। स्कूल की जनसंपर्क अधिकारी वर्षा शर्मा ने आभार अभिव्यक्त किया।
नाट्य प्रस्तुतियांे ने दिए सकारात्मक संदेश- दो दिवसीय कार्यशाला के समापन के अवसर पर इम्प्रोवाइजेशन अभ्यास के दौरान सामने आए विषयों को आधार बनाकर तीन लघु नाटकों की प्रभावी प्रस्तुतियां की गई। सभी नाटकों ने सकारात्मक संदेश दिए। पहले नाटक ‘श्रेष्ठता की परख‘ में यह बताया गया कि गृहस्थ जीवन जीना है तो परोपकार में समर्पित होकर जीओ और सन्यासी का जीवन अपनाना है तो फिर किसी भी भौतिक माया का पूर्णतः परित्याग कर दो। इसमें लखन चौरसिया, निर्मल सहवाल, युवराज वाही, हेतल वर्मा, स्वरूपसिंह राठौड़, सीता ताराचन्दानी व देवांश कुमार सोनी ने विविध पात्रों के अभिनय किये। दूसरे नाटक ‘राजा का बाजा‘ में विविध हास्य-मनोरंजनपूर्ण दृश्यों के माध्यम से यह बताया गया कि यदि हम अजमेर के प्रति पर्यटकों को आकर्षित करना चाहते हैं तो यहाँ के ऐतिहासिक स्मारकों व आनासागर झील की स्वच्छता का ख्याल रखना होगा। नाटक में इमरान खान, रवि शर्मा, जयवर्द्धन रांकावत, रीदम और यश ओझा ने प्रभावी अभिनय किया। तीसरे नाटक ‘जिंदगी धुँआ ना हो जाए‘ में विविध मार्मिक व संवेदनशील दृश्यों के द्वारा यह बताया गया कि स्मैक इत्यादि के नशे में पड़कर किस प्रकार बच्चों और युवाओं का स्वयं कं जीवन के साथ-साथ उनके परिवार भी बर्बाद हो रहे हैं। एक बार नशे की लत पड़ जाए तो फिर ये ना मिले तो भी मौत है और मिले तो भी मौत ही है। अंकित शांडिल्य, मोहित कौशिक, दीपिका अरोड़ा, विशाल खटवानी, चिराग मोदी, विपिन जैन, हर्षित कतिरिया और दीपक गहलोत के भावपूर्ण अभिनय ने यह संदेश दिया कि देश को उन्नति की ओर ले जाना है तो नयी पीढ़ी को नशे से बचाना है।
-उमेश कुमार चौरसिया
निर्देशक व संयोजक
संपर्क-9829482601

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