राजस्थान के लोक देवता तेजाजी —-part 5

(माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 —- भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160) ( 29 जनवरी 1074– 28 अगस्त 1103)

dr. j k garg
dr. j k garg
तेजाजी के मंदिर और चबूतरे
तेजाजी के मंदिर राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गजरात तथा हरियाणा के विभिन्न स्थानों में मोजूद हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार श्री पी.एन. ओक ने दी इल्ल्सट्रेड वीकली ऑफ़ इंडिया के 28 जून 1971 के जाट विशेषांक में लेख लिखकर दावा किया था कि मूलतः ताजमहल शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजो महालय है | आगरा मुख्यतः जाटों की नगरी है | जाट लोग भगवान शिव को तेजाजी के नाम से जानते हैं | अनेक शिवलिंगों में एक तेजलिंग भी होता है जिसके जाट लोग उपासक थे | श्री पी.एन. ओक अपनी पुस्तक Tajmahal is a Hindu Temple Palace में100 से भी अधिक प्रमाण एवं तर्क देकर दावा करते हैं कि ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजोमहालय है। हांलाकि अन्य अनेकों इतिहासकार इससे सहमति नहीं रखते हैं | तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग ही पुजारी का काम करते हैं | समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है | इन सारी बातों की वजह से आज भी ग्रामीणों में तेजाजी के लिए अटूट आस्था और विश्वास बना हुआ है | आज भी भारत के अधिकांस भागों में वीर तेजाजी के नाम से सबसे ज्यादा मेले भरते है | सुरसुरा में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है | अजमेर जिले के प्रत्येक गांव में तेजाजी के मंदिर अथवा चबूतरे बने हुए हैं | ब्यावर का तेजाजी का मेला तो पूरे देश में प्रसिद्ध |. भीलवाड़ा में तेजाजी को सभी धर्मों के लोग मानते हैं | आदिवासी समाज में भी तेजाजी की अत्याधिक मान्यता है | शाहबाद (बारां), प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, बून्दी, चितौडग़ढ़ के विभिन्न स्थानों पर तेजाजी के विशाल मेले भरते है जो जनमानस में तेजाजी के प्रति अगाध श्रद्धा व विश्वास के प्रतिक है | तेजाजी का स्वार्गारोहण 33 वर्ष की अल्प आयु में हो गया था | निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि आज भी वीर तेजाजी युवाओं के लिए आदर्श पुरुष ही हैं |
सम्पादन एवं प्रस्तुतिकरण—–डा.जे,के.गर्ग

सन्दर्भ—-विकीपीडिया,गूगल सर्च, विभिन्न पत्रिकायें, श्री पी.एन. ओक की पुस्तक Tajmahal is a Hindu Temple Palace, दी इल्ल्सट्रेड वीकली ऑफ़ इंडिया के 28 जून 1971 का संस्करण आदि

error: Content is protected !!