माना ये सब पहली बार नहीं हुआ लेकिन ये प्रश्न आपसे सीधा इसलिए है कि वह आप ही थे जो बड़े दम्भ से विश्व-भ्रमण पर निकल पुरानी परम्पराओं को ध्यस्त करते हुए आगे बढ़ रहे थे। आप भारत की अगुवाई में शुरू हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की हवा निकालने की मंशा रखते थे। आपने अमेरिका से सैन्य समझोते किये। आपने रूस जैसे सामरिक मित्र को रुष्ट किया। आपने चीन को नए सिरे से ललकारा। आपने कश्मीर में अतिवादी समूह से सरकार बनाई। आपने बलूचिस्तान को अपना कवच बनाया। आप अपने समस्त गरिमा और प्रोटोकोल तोड़कर पकिस्तान के पारिवारिक मित्र बने। आपने चुनावी समर में देश की पूर्व विदेश नीतियों को कायराना बताया।
माना उस समय आपको स्थितियों का सही-सही अंदाजा नहीं होगा। आप किसी महाशक्ति के दबाब में अभी कोई ठोस कदम उठा पा रहे होंगे। सामरिक युद्व या दूसरे उपायों पर विचार चल रहा होगा ।किन्तु कुछ निर्णय तो तुरंत ले ही सकते थे । आप देश के सांस्कृतिक और साहित्यिक संबंधो पर हल्ला मचाने में देर नहीं लगाते , पर राजनयिक सम्बंधों की चर्चा क्यों नहीं करते।
कुछ मूलभूत प्रतिक्रियाएं थी जो इस हमले के तुरन्त बात आपसे अपेक्षित थी-
1. आप पाक हाई कमिश्नर को तलब कर सकते थे।
2.आप पाकिस्तानी दूतावास को संप्रभुता का पाठ पढ़ा सकते थे।
3.आप पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावाद से अपने अधिकारी वापिस बुला सकते थे।
4.आप भारत में पाकिस्तान के सरकारी और औधोगिक उद्यमों और अंकुश लगा सकते थे।
5. पाकिस्तान नागरिकों का वीसा प्रतिबंधित कर सकते थे।
6.आप यथासम्भव अपना वीटो प्रयोग में लाकर कुछ संस्थओं से पाक को बेदखल करवा सकते थे
7.आप पाक प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सारे तोहफे लौटा सकते थे।
8.आप कम से कम राष्ट्र के नाम एक सन्देश दे सकते दे कि आप कितने आहत हैं, जबकि कितनी गैरजरूरी बातो पर आपकी रोज प्रतिक्रियाएं आती है।
किन्तु नहीं..! आपने ऐसा कुछ नहीं किया। प्रसंगवश पूर्व प्रधानमंत्री जो आपके मनोविनोद की बड़ी सामग्री थे ने भी अपने सक्रीय विरोध के चलते नवाज शरीफ के शपथ-ग्रहण समारोह के बुलावे को निर्ममता से ठुकराया था। हेमराज के कटे सर की भाषा को समझ कर तात्कालिक पाक राष्ट्रपति की अगुवानी में अपना सर नहीं झुकाया था। उस समय आप उनकी खिल्ली उड़ाकर अपने वोटरों को रिझा रहे थे।
इस समय आप किसी एक दल के मुखिया नहीं हैं। आप भारत सरीखे शक्तिशाली देश का नेतृत्व कर रहे हैं, जो शान्ति और क्रांति दोनों का वाहक रहा है। आज देश आपसे अपने मन की बात कह रहा है। जो पता नहीं आप सुनेगे या नहीं, फ़िलहाल…….
पीड़ित
भारत का मन
रास बिहारी गौड़
www.ajmerlit.org/blogspot