वक्त ने थामी राहें, सरकारी सहायता ने जगाई उम्मीद

bikaner samacharबीकानेर, 4 अक्टूबर। काल के क्रूर चक्र ने ऎसा दर्द दिया कि कुछ कहा नहीं जा रहा था, सहा नहीं जा रहा था। घर के मुखिया के असामयिक निधन से परिवार को दो वक्त की भरपेट रोटी के भी लाले पड़ने लगे। ऎसे में राज्य सरकार की कल्याणकारी योजना की ज्योति दिखाई दी तो, थमे पांवों ने फिर से चलने की हिम्मत जुटाई। सरकार के सहारे ने इस परिवार के जीवन का सफर कुछ सहज करने में अपनी अहम भूमिका निभाई।

कहानी है नत्थूसर बास निवासी स्वर्गीय मोहन लाल कच्छावा के परिवार की। 29 मार्च 2015 को निर्माण कार्य के दौरान मोहन लाल हादसे के शिकार हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया। अचानक हुए इस हादसे ने मृतक मोहन लाल के वयोवृद्ध पिता धनाराम, मां जमना तथा पत्नी संतोष और उनके बच्चों को झकझोर कर रख दिया। घटना के लगभग डेढ़ वर्ष बाद आज भी मोहन लाल की मृत्यु की बात दोहराते ही परिवारजनों के मुंह पर अपने आत्मीयजन को खोने की पीड़ा तो उजागर होती है, लेकिन वे घटना के बाद बनी परिस्थितियों से बाहर निकालने में सरकार द्वारा मिली मदद का जिक्र किए बिना भी नहीं रहते।

पिता धन्नाराम ने बताया कि मोहन लाल की इच्छा थी कि उसकी दो बेटियां खूब पढ़े तथा आगे बढ़े। उन्होंने बेटी नंदा व शोभा को ग्रेज्यूएशन तक की शिक्षा दिलाई, लेकिन अचानक हुए हादसे ने उनकी पढ़ाई पर विराम लगा दिया था। बेटे की मौत के बाद पूरा परिवार अपने बच्चों के लालन-पालन, उनके भविष्य को लेकर चिंतित था।

संकट के इस दौर में राजस्थान सरकर के श्रम विभाग की ओर से भवन एवं अन्य संर्मिाण कर्मकारों के लिए हिताधिकारी की दुर्घटना में मृत्यु होने की दशा में सहायता योजना 2014 के तहत मोहनलाल की पत्नी संतोेष को 5 लाख रुपए सहायता दी गई है, वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से श्रीमती संतोष को 500 रुपए की विधवा पेंशन स्वीकृत की गर्ई।

सरकार की ओर से मिली मदद की बदौलत उनके अंधियारे जीवन में रोशनी की झलक दिखी है। दोनों बच्चियों के मन में पुनः पढ़ाई शुरू कर पिता के सपने को साकार करने की आश जगी है। संतोष ने बताया कि रोजमर्रा का खर्चा चलाने के लिए वह पापड बेलती है और कपड़ों की सिलाई करती है। सरकार की ओर से मिली इस राशि से अब वे अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर उन्हें स्वावलम्बी बना सकेंगी। उन्होंने इस योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि योजना का लाभ सभी वर्ग व तबके के मजदूरों को दिया जाना चाहिए।

हरि शंकर आचार्य
सूचना एवं सम्पर्क अधिकारी,बीकानेर

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