*अफसर लालबत्ती की गाड़ियों घुमाएंगे अपने परिवार को*
पुष्कर। पुष्कर मेले में स्थानीय निवासियों को वाहन पास नहीं दिए जाने के कलक्टर गौरव गोयल के फरमान से रोष उतपन्न हो गया है।
स्थानीय वाहन धारी अपने वाहन घर नहीं ला कर क्या कस्बे के बाहर खड़ा करेंगे??
यह पहला मौका है कि स्थानीय चार पहिया वाहनों को मेला मजिस्ट्रेट द्वारा पास जारी नही किये जा रहे है।
वाहन पास के अभाव में बीमार, विकलांग, जरुरी सामान को लाने ले जाने में कितनी दिक्कत होगी।
*अफसरों की मौज*
पुष्कर मेला दिनों दिन अफसरों की मौज मस्ती का मेला बनता जा रहा है। अफसरो के परिवार लाल बत्ती के वाहनों में मेले में घूमते है। होटलों में फ्री में ठहरते है। खाना पीना, मौज उड़ाने का भरपूर मजा लेते है।इन पर कोई रोक नहीं है। वही जरूरत मन्द लोगो के वाहनों को कस्बे में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
एक बार पहले भी तत्कालीन मेला मजिस्ट्रेट आशु चौधरी ने लोकल को वाहन पास जारी करने से मना कर दिया था। तब मामला न्यायालय में पहुच गया। इसके बाद लोकल को वाहन पास जारी करने पड़े थे।
खास बात यह है कि नए नए अधिकारी अपने हिसाब से मेले में एक्सपेरिमेंट करते है। जिससे मेले में अव्यवस्था बढ़ जाती है।
इस बार कलक्टर ने मेला स्टेडियम के बाहर व् आस पास छोटी दुकानों को हटाने के आदेश जारी कर रखे है।
समझ में नहीं आता की पुष्कर मेला शुध्द ग्रामीण मेला है। मेले में आने वाले महिला पुरुष अपनी जरूरत की वस्तुएं छोटे छोटे दुकानों से खरीदते है। दुकानदार दूर दूर से घर बार छोड़ कर यहाँ आकर यहाँ अपनी दुकानें लगाते है। उन्हें हटाने से कितनी दिक्कत होती है।कमाई तो दूर रही नुकसान उठाना पड़ता है।
पुष्कर के लोगो का कहना है कि अधिकारी मेले पर एक्सपेरिमेंट नहीं कर जैसे हमेशा मेला भरता आया है उसी हिसाब से भरने दे। यदि जबरन के कानून थोपे तो निकट भविष्य में पुष्कर मेला समाप्त हो जाएगा। मेले की रंगत छोटी छोटी दुकानों से ही होती है।
वैसे भी पशुओं की आवक कम होने से पशु मेला समाप्ति की और कदम रख रहा है।
नाथू शर्मा, पत्रकार, पुष्कर।✍?
9828172052