ठीक ही तो है अगर कोई देशविरोधी ताकतें अपना पैसा मीडिया हाउस में लगाकर भारत देश को कमज़ोर करने की साज़िश रचें तो उनपर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिये।
एनडीटीवी ने जो भी दिखाया देश तोड़ने वाला ही दिखाया। क्या कोई इस बात का जवाब देगा कि आतंकी याकूब मेनन और बुरहान वानी के जनाज़े की लाइव रिपोर्टिंग करके NDTV द्वारा कौनसे देशभक्ति के गीत गाये जा रहे थे ?
क्या कभी एनडीटीवी ने कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा शहीद किये गये सैनिकों को श्रद्धांजलि दी ?
ये कैसी अभिव्यक्ति की आज़ादी जो देश को तोड़ने का काम करे ? एक दिन के प्रतिबन्ध को मामूली बताया जा रहा है। अरे ! इज़्ज़तदार तो उंगली उठने भर पर शर्म से डूबकर मर जाता है।
माँ अपने बेटे को जी भरकर प्यार और दुलार करती है तो क्या माँ की गलती निकालकर आप उसे उसका प्यार दुलार वापस कर सकते हो ?
यह तो कृतघ्नता होगी न। देश तोड़ने वाले नारों से परहेज़ ना करना देशद्रोह है। चीजों को स्वार्थ के चश्मे से मत देखो।
मीडिया चैनल व्यापार का ही जरिया हैं। व्यापार नियम कायदों से चलता है। नियम का उल्लंघन करोगे तो दण्ड के भागी बनोगे।
इसलिये कहता हूँ जीवन जो अभिशाप बन जाये उसकी मौत पर उत्सव मनाना ही चाहिये।
जयहिन्द।
राजेंद्र सिंह हीरा