जीवन में खुशीयां प्राप्त करने एवं खुशहाल रहने के लिये मुहं न मोड़े अटल सच्चाईयों से—Part-1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
हमें खुद और भी अच्छा बनाने के लिये खुद से ही कम्पीटीशन करना होगा क्योंकि जब कम्पीटीशन स्वयं से है तो यह कम्पीटीशन शेविंग ब्लैडके समान है, जो आपके मुख मंडल को निखार कर चेहरे को आकर्षक तथा मन भावन बनाता है, वहीं अगर कम्पीटीशन दूसरों से है तो यहीकम्पीटीशन काटों से भरा कैक्टस का पौधा बन जाता है जो दूसरों को नुकसान पहुँचाने के पहले आपको खुद को ही नुकसान पहुंचाता है । अत: अगर कम्पीटीशन करना ही है तो दूसरों से कम्पीटीशन करने के बजाय खुद से ही कम्पीटीशन करें | जीवन में कभी भी किसी से भी तुलनाकरना छोडिये क्योंकि परस्पर तुलना करना वास्तव में अपने आपको एवं अपनी विशेषताओं को कम करके आंकने का एक तरीका है। सच्चाईयही है कि हमें हम जैसे भी दिखते हैं उसी रूप में स्वीकार कर खुश रहना चाहिये,अपने रगं-रूप, चेहरे-शक्ल में बदलाव लाने की कोशिश खुद कोही नुकसान पहुंचाती है | याद रक्खें कि एक शार्क अपने दांतों से चाहे वे दिखने से कैसे भी अनाकर्षक या भद्दे लगते हों किन्तु वह अपने उन्हींदांतों से खुश रहता है, वहीं हाथी भी अपनी लम्बी सूंड के साथ प्रसन्न रहता तो क्यों भगवान ब्रहमाजी की सर्वश्रेष्ठ कृति मनुष्य परमपितापरमात्मा से प्राप्त शरीर से अप्रसन्न या नाखुश रहता है ? फिर क्यों मनुष्य अपनी स्वयं शक्ल और प्रतिभा को दबाने की कोशिश करता है?

प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्र-पत्रिकाये ,मोटिवेशन गुरुओं के लेख, शुभविलास दास, एडवर्ड मॉर्गन फोर्स्टर, आदि
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