-लखन सालवी-
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने 25 दिसम्बर को उदयपुर जिले की गोगुन्दा तहसील की छाली ग्राम पंचायत के उण्ड़ीथल गांव का विजिट किया। यहां वे दूसरी बार आए। इस गांव को उदयुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्व विद्यालय उदयपुर (एमपीटीयू) ने गोद लिया है। तीन गांव क्रमशः कडेचावास, उण्ड़ीथल व छाली को स्मार्ट विलेज बनाने की परिकल्पना है। स्मार्ट विलेज बनाने की इस कवायद के चलते ही राज्यपाल दूसरी बार पुनः उण्ड़ीथल आए। विजिट पर फिर से लाखों रूपए खर्च किए गए। भव्य समारोह किया गया। उनके विजिट करने की सूचना आने के बाद विभिन्न विभागों के अधिकारी रोजाना उण्ड़ीथल के दौरे करने लगे। सड़कों को ठीक करवाया गया, जिन स्कूलों पर बरसों से रंग नहीं चढ़ा उन्हें पुतवाया गया। उनके आने से पहले सब कुछ ठीक करने के पूरे प्रयास किए गए। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि दो साल हो गए है, गांव में कुछ नहीं बदला है। सब आते है भाषण देकर चले जाते है।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने पिछले साल इस गांव का विजिट किया तब उण्ड़ीथल के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के परिसर में भव्य समारोह आयोजित किया गया। कृषि विश्व विद्यालय का कहना था कि गोद लिए गांवों के किसानों को उन्नत किस्म की कृषि सिखाई जाएगी, पशु पालकों को उन्नत किस्म के पशुओं को पालना सिखाया जाएगा। समारोह के दौरान एक किसान को सिरोही नस्ल के बीजू बकरे दिए गए, एक किसान को उन्नत नस्ल के खरगोश दिए गए और एक किसान को मुर्गें-मूर्गी दिए गए। कुछ किसानों को खाद बीज भी दिए गए। उस समारोह पर लाखों रूपए खर्च किए गए। राज्यपाल की इस दूसरी विजिट से पहले इस गांव के हालात देखने पर पाया कि सिरोही नस्ल के बकरे जिंदा नहीं बचे, कुछ मूर्गे-मूर्गियां भूख से मर गई तथा कुछ को बिल्ली खा गई। एक वर्ष बाद हालात ज्यों के त्यों है।
किसानों स्मार्ट विलेज का सपना पूरा करने के लिए यहां मोबाइल नेटवर्क की महती आवश्यकता है। नेटवर्क नहीं होने के कारण यहां के अधिकतर लोग अभी तक मोबाइल का उपयोग भी नहीं जानते है। पंचायत क्षेत्र के 70 प्रतिशत घरों से अन्तर्राज्यीय प्रवास होता है। लोग गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश सहित राज्यों में काम करने जाते है वे महीनों तक अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते। नेटवर्क नहीं होने से डिजिटल इंडिया का सपना पूरा कर पाना भी मुश्किल है। आजकल लगभग सारे काम ई-मित्र के द्वारा होते है, यहां नेटवर्क की कमी के कारण ई-मित्र केंद्र के संचालन में भी दिक्कतें आ रही है।
उल्लेखनीय है कि इस ग्राम पंचायत क्षेत्र के 95 प्रतिशत परिवार कृषि पर निर्भर है। यहां किसान सेवा केंद्र की बहुत आवश्यकता है। कृषि के लिए किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है जबकि पंचायत क्षेत्र में ही पानी के स्त्रोत उपलब्ध है। लिफ्ट के माध्यम से किसानों को पानी मुहैया करवाया जा सकता है। यहां बैंकिंग सर्विसेज नहीं है। पुलिस चौकी सूरजगढ़ में है जो यहां से 60 किलोमीटर दूर है। यहां के लोगों को अपने हर छोटे-बड़े काम के लिए और जन कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ने के लिए 20 किलोमीटर दूर गोगुन्दा जाना पड़ रहा है, गोगुन्दा तक ही मुख्य सड़क को भी चौड़ी करने की आवश्यकता है और मुख्य चौराहों पर यात्री प्रतिक्षालय की आवश्यकता है।
किसानों को उन्नत कृषि का वातावरण देना, लोगों को समय पर राशन देना, बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करवाना, जन कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच को आसान करना सरकार की जिम्मेदारी है मगर हालात बदतर है।
जरूरत है कृषि भूमि को उर्वरक बनाने की, किसानों को उन्नत कृषि के प्रशिक्षण की
कडेचावास, उण्ड़ीथल व छाली गांव में किसान परिवारों की संख्या अधिक है। जानकारी के अनुसार एक समय था जब इन गांवों में जमीकंद की खेती सर्वाधिक होती थी। यहां की लहसून, अदरक, प्याज, हल्दी की पैदावार उदयपुर की कृषि मण्ड़ी में पहुंचती थी। कुछ सालों पहले यहां मिट्टी में जमीकंदों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों की मात्रा बढ़ गई, जिससे ये फसलें चौपट होने लग गई। कृषि विभाग इन फसलों को बचाने का कोई उपाय नहीं कर पाया। नतीजतन आज इन फसलों की खेती गौण हो गई है।
पिछले साल ही गोगुन्दा में महाराणा प्रताप कृषि एवं वन उपज मण्ड़ी का उद्घाटन हुआ। करोड़ों की लागत से मण्ड़ी का निर्माण करवाया गया। यह सरकार की बेकार रणनीति ही है कि कृषि पैदावार को बढ़ाने, किसानों को उन्नत कृषि करने के प्रशिक्षण देने की बजाए करोड़ों रूपए खर्च कर भवन बनाए जा रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि एक साल में एमपीयूएटी द्वारा कोई कार्य नहीं करवाए गए, ग्रामीणों ने आरोप लगाए कि गांव को गोद लेकर केवल कागजी खानापूर्ति की जा रही है।
कृषि प्रधान गांव में हो किसान सेवा केंद्र-सरपंच
सरपंच थावरी देवी गमेती का कहना है कि छाली ग्राम पंचायत क्षेत्र में 1038 परिवार है। इन परिवारों में से अधिकतर परिवार कृषि व मजदूरी पर निर्भर है। किसानों को अपनी समस्याओं के समाधान व परामर्श के लिए गोगुन्दा जाना पड़ता है जो यहां से 20 किलोमीटर दूर है। यहां किसान सेवा केंद्र खोल दिया जाए तो किसानों की समस्याओं को समाधान हो सकेगा। ग्रामीणों की मांग को लेकर सरपंच थावरी देवी गमेती ने राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया।
खेतों तक पहुंचे पानी तो करें खेती
भीमकोड़ा एक जगह का नाम है जो नदी में है, इस जगह पर प्रचूर मात्रा में पानी है। ग्राम पंचायत क्षेत्र के महुडी मंगरी, उण्ड़ीथल, कडेचावास, नयाघर बस्ती व अणेजरा में लगभग 400 परिवार निवास करते है। इस क्षेत्र में 215 बीघा कृषि भूमि स्थित है। इस भूमि में गेहूं, सरसों, चने जैसी रबी की फसलें हो सकती है, पानी के अभाव में इस भूमि में कृषि नहीं हो पा रही है। पिछले एक साल में इसे लेकर कोई काम नहीं किया गया है।
बैंकिंग के लिए जाना पड़ता है 20 किलोमीटर दूर
ग्राम पंचायत क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग सेवाओं के लिए गोगुन्दा जाना पड़ता है। गोगुन्दा यहां से 20 किलोमीटर दूर है। यहां किसी भी प्रकार की बैंकिंग सेवा नहीं होने से ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है। विधवा पेंशन, वृद्वावस्था पेंशन, विकलांग पेंशन धारियों व मजदूरों को सर्वाधिक परेशान होना पड़ रहा है।
यात्रियों के लिए हो प्रतिक्षालय
आदिवासी परिवारों के लोग मजदूरी करने के लिए उदयपुर जाते है। यहां से उदयपुर चलने वाली बसों को बोलचाल में लेबर बसें कहा जाता है। मजदूर रोज सुबह उदयपुर जाते है और देर शाम घर लौटते है। ढाबरा चौराया, ऊबापाण चौराया व छाली चौराया ऐसे चौराहें जहां यात्री बसों का इंतजार करते नजर आते है। इन चौराहों पर यात्री प्रतिक्षालयों व सुविधाघरों की आवश्यकता है।
अब हमें भी चाहिए शुद्ध पानी
सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप गमेती ने बताया कि कडेचावास, उण्ड़ीथल व छाली के निवासियों को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में इन गांवों के लोग हेण्डपम्प व पेयजल टंकी से पीने का पानी प्राप्त कर रहे है। टंकी में एक निजी कुंए से पानी की सप्लाई की जाती है लेकिन गर्मियों में कुएं में पानी कम पड़ जाने से सप्लाई नियमित नहीं हो पाती है। ग्रामीणों ने बताया कि हेण्डपम्पों में फ्लोराइड युक्त पानी है जो पीने योग्य नहीं है।
मोबाइल नेटवर्क पहुंचे तो आगे बढ़े बात
स्मार्ट विलेज बनाने में मोबाईल नेटवर्क नहीं होना भी बाधक बन रहा है। ग्राम पंचायत क्षेत्र में किसी भी मोबाइल कम्पनी का नेटवर्क नहीं है। इस कारण यह क्षेत्र सूचना, प्रसारण एवं तकनीक के मामले में पिछड़ा हुआ है। राशन वितरक पीओएस मशीन से राशन वितरण नहीं कर पा रहा है। राशन डिलर भंवर सिंह ने बताते है कि ग्रामीण दूर-दराज से राशन लेने आते है लेकिन नेटवर्क समस्या के कारण कई बार उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर उपखण्ड़ अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक को अवगत कराया है। कई बार मोबाइन टॉवर लगाने की मांग की गई लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार की समस्त जन कल्याणकारी योजनाओं के आवेदन ऑनलाइन होते है। ग्राम पंचायत क्षेत्र में नेटवर्क नहीं होने के कारण यहां ई-मित्र केंद्र का संचालन भी नहीं हो रहा है, जिसके कारण आमजन को योजनाओं के लाभ लेने में दिक्कतें आ रही है। ग्रामीण भैरू लाल मेघवाल का कहना है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र के सैकड़ों लोग मजदूरी के लिए अन्य राज्यों यथा गुजरात, महाराष्ट्र, कनार्टक, आंध्रप्रदेश में जाते है व कई-कई माहों तक अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते है।
छाली में खोली जाए पुलिस चौकी
छाली ग्राम पंचायत गोगुन्दा पंचायत समिति क्षेत्र की अंतिम ग्राम पंचायत है। छाली के बाद झाड़ोल क्षेत्र की सीमा आ जाती है। छाली ग्राम पंचायत क्षेत्र के लिए पुलिस चौकी सूरजगढ़ में है। छाली से सूरजगढ़ जाने के लिए गोगुन्दा होकर जाना पड़ता है। यानि पुलिस चौकी की दूरी 60 किलोमीटर है। यहां आए दिन चोरी, लड़ाई-झगड़े की घटनाएं होती रहती है। किसी भी प्रकार घटना घटित होने पर पुलिस को यहां पहुंचने में कम से कम एक घंटा लगता है। सरपंच थावरी देवी ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर पुलिस चौकी स्थापित करने की मांग भी की।
टीएसपी शामिल हो गोगुन्दा उपखण्ड़ क्षेत्र
सरपंच थावरी देवी गमेती ने गोगुन्दा उपखण्ड़ को टीएसपी में शामिल करने की मांग की। उन्होंने बताया कि गोगुन्दा उपखण्ड़ क्षेत्र अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। उन्होंने छाली ग्राम पंचायत का उदाहरण देते हुए कहा कि पंचायत क्षेत्र में निवासरत कुल परिवार 1038 में से लगभग 700 परिवार अनुसूचित परिवार के है। अनुसूचित जन जाति बाहुल्य होने के बावजूद क्षेत्र की टीएसपी घोषित नहीं किया गया है, जिस कारण इस क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति समुदाय का विकास नहीं हो पा रहा है।
सरपंच व ग्रामीणों ने राज्यपाल से की ये प्रमुख मांगें –
ऽ कडेचावास, उण्ड़ीथल व छाली में सामुदायिक भवन ।
ऽ भीमकोड़ा से महुडी मंगरी, उण्ड़ीथल, कडेचावास, नयाघर बस्ती व अणेजरा में कृषि हेतु जल सप्लाई।
ऽ ढाबरा चौरायें, ऊबापाण चौरायें व छाली चौरायें पर यात्रा प्रतिक्षालय तथा मूत्रालय निर्माण।
ऽ उपभोक्ता थोक भण्ड़ार।
ऽ पेयजल के लिए वाटर फिल्टर प्लांट व पाईप लाइन।
ऽ राजस्वों गांवों को जोड़ने के लिए डामर सड़कें।
ऽ कृषि सेवा केंद्र।
ऽ मोबाइल नेटवर्क के लिए टावर।
ऽ राष्ट्रीय बैंक की शाखा।
ऽ टीएसपी में शामिल हो।
अपने संबोधन में राज्यपाल कल्याण सिंह ने ग्रामीणांे को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि एमपीयूएटी द्वारा इस गांव को स्मार्ट विलेज बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है इसके लिये उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति, वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों को बधाई दी एवं साथ ही जिला प्रशासन का भी धन्यवाद ज्ञापित किया कि उन्होंने ग्राम पंचायत छाली के गोद लिये गांवों में विकास की धारा प्रवाहित की है। उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं एवं उसके समाधान तथा जीवन शैली और त्यौहारों में विशेष रूचि दिखायी। उन्होंने कहा कि यह गांव मेरे अपने गांव जैसा है। उन्होंने देश के विकास के लिए ग्रामीण विकास को आवश्यक बताया तथा स्मार्टसिटी तर्ज पर स्मार्ट विलेज की अवधारणा रखी। उन्होंने कहा कि देश के विकास में कृषि एवं गांव ही महत्वपूर्ण इकाई है। उन्होंने ग्राम पंचायत के सांख्यिकी आंकड़ों पर ध्यान दिलाते हुये कहा कि यहां 1506 की जनसंख्या में से 953 लोग निरक्षर हैं जिनमें से 558 महिलाएं हैं जो कि अत्यन्त दुखः का विषय है उन्होंने गांववासियों को कहा कि वे संकल्प ले कि खुद भी साक्षर बनेगें और अपनी सन्तान को भी शिक्षित करेगें उन्होंने गांवों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बन रहे शौचालयों के कार्य में भी गति लाने के निर्देश दिये उन्होंने उन्नत कृषि के साथ-साथ पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया एवं शीघ्र ही गांव में दुग्ध संग्रहण केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिये। उन्होंने मौके पर ही गांव के 20 जुझारू युवाओं का दल बनाने की प्रेरणा देते हुए उन्हें प्रति माह बैठक कर गांव के विकास पर विचार करने एवं विकास कार्यों में योगदान करने की प्रेरणा दी।

समारोह के दौरान राजभवन के विशेषाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय, विधायक प्रताप गमेती, प्रधान पुष्कर तेली, उपप्रधान पप्पू राणा भील, सरपंच थावरी देवी गमेती, जिला कलक्टर रोहित गुप्ता, उपखण्ड अधिकारी मुकेश कलाल, विकास अधिकारी मनहर विश्नोई, तहसीलदार हुकुम कुंवर व महाराणा प्रताप कृषि विश्व विद्यालय के डॉ. सुधीर भार्गव, डॉ. एस.एस. बुरड़क, प्रियंका जोधावत, डीएन पुरोहित, आदि उपस्थित थे।