डा. जे.के.गर्गपंजाब मे संक्रांति के एक दिन पूर्व में लोहड़ी मनाई जाती है। लोग घर-घर जाकर लकडिय़ां एकत्रित करते हैं और फिर लकडिय़ों के समूह को आग के हवाले कर मकई की खील, तिल व रवेडिय़ों को अग्न देव को अर्पित कर सबको प्रसाद के रूप में अर्पित करते हैं। इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इन दिनों में खिचड़ी खाई भी जाती है और दान में भी दी जाती है। उत्तर प्रदेश व बिहार में संक्रांति के दिन देसी घी को खिचड़ी में डाल कर खाने का प्रचलन है मध्य प्रदेश में इस त्योहार पर परिवार के बच्चों से लेकर बूढ़े सभी एक साथ गिल्ली-डंडे के इस खेल का आनंद उठाते हैं | महाराष्ट्र और गुजरात में मकर संक्रांति के दिन लोग अपने घर के सामने रंगोली अवश्य रचते हैं। फिर एक-दूसरे को तिल-गुड़ खिलाते हैं। साथ ही कहते हैं- तिल और गुड़ खाओ और फिर मीठा-मीठा बोलो। मकर सक्रांति को आसाम में माघ बिहु या भोगाली बिहु के रूप में मनाया जाता है। यहां चावल से बने व्यंजन प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं| राजस्थान,गुजरात मे इस दिन आसमान पतंगो से ढक जाता है | लाल, हरी, नीली,पीली आदि रंग-बिरंगी पतंगें जब आसमान में लहराती हैं तो ऐसा लगता है मानो इन पतंगों के साथ हमारे सपने भी हकीकत की ऊँचाईयों को छू रहे हैं और हम सभी सारे गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे की पतंगों के पेंच लड़ा रहे हैं| केरल में भगवान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला की वार्षिक तीर्थयात्रा की अवधि मकर संक्रान्ति के दिन ही समाप्त होती है, जब सुदूर पर्वतों के क्षितिज पर एक दिव्य आभा ‘मकर ज्योति’ दिखाई पड़ती है। कर्नाटक में भी फ़सल का त्योहार शान से मनाया जाता है। बैलों और गायों को सुसज्जित कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। नये परिधान में सजे नर-नारी, ईख, सूखा नारियल और भुने चने के साथ एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। पंतगबाज़ी इस अवसर का लोकप्रिय परम्परागत खेल है। दक्षिण भारत में दूध और चावल की खीर तैयार कर पोंगल मनाया जाता है | प्रस्तुती —डॉ. जे.के गर्ग
सन्दर्भ—विकिपीडिया,भारत ज्ञान कोष,गूगल सर्च आदि