देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना का पर्व—महाशिवरात्रि Part-1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
भोलेनाथ जितने रहस्यमयी हैं वहीं उनकी वेश-भूषा भी अनूठी ही है इसी के साथ शिवजी से जुड़े तथ्य भी उतने ही विचित्र और अनोखे हैं। शिव श्मशान में निवास करते हैं, गले में नाग धारण करते हैं, भांग व धतूरा ग्रहण करते हैं। आदि न जाने कितने रोचक तथ्य इनके साथ जुड़े हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि शुक्रवार, 24 फरवरी 2016 को धूमधाम से मनायी जायेगी | फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को क्यों कहते हैं महाशिवरात्रि?——-
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन मन में सवाल उठता है कि क्यों इसी दिन शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है और क्योंइसी दिन को महाशिवरात्री कहते हैं ?ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी। मध्यरात्रि में भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। ईशानसहिंता के अनुसार- फाल्गुन चतुर्दशी की अर्द्धरात्रि में भगवान शंकर लिंग के रूप में अवतरित हुए। चतुर्दशी तिथि के महानिशीथ काल में महेश्वर के निराकार ब्रहम स्वरूपप्रतीक शिवलिंग का अविभार्व होने से भी यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है |इसी दिन, भगवान विष्णु व ब्रह्मा के समक्ष सबसे पहले शिव का अत्यंतप्रकाशवान स्वरूप(आकार) प्रकट हुआ था। कहा जाता है कि शिवरात्री के दिनभगवान शिव और आदि शक्ति का विवाह हुआ था। (भगवान शिव का ताण्डव और भगवती का लास्यनृत्य दोनों के समन्वय से ही सृष्टि में संतुलन बना हुआ है, अन्यथाताण्डव नृत्य से सृष्टि खण्ड- खण्ड हो जाये। इसलिए यह महत्वपूर्ण दिन है )।ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु विष निकला था।भगवान शिव ने संपूर्ण ब्राह्मांड की रक्षा के लिए स्वंय ही सारा विष पी लिया था। इससे उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाता है।

सकंलन कर्ता—-डा.जे.के. गर्ग
सन्दर्भ— विभिन्न पत्र पत्रिकायें, शिव भक्तों से प्राप्त जानकारियां एवं मेरी डायरी के पन्ने

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