भारत मुक्ति मोर्चा ने ईवीएम की निकाली शवयात्रा

लोकतंत्र बचाओं अभियान के तहत एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित
DSC_0081बाड़मेर। भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम के निर्देशानुसार ईवीएम हटाओं बेलेट पेपर लाओं, लोकतंत्र बचाओं अभियान के तहत पहले चरण में बाड़मेर जिला कलक्टर कार्यालय के आगे एक दिवसीय धरना व प्रदर्शन का आयोजन हुआ। जिसमें भारतीय विधार्थी मोर्चा, युवा मोर्चा, बेरोजगार मोर्चा, मुस्लिम मंच, नफ आदि बामसेफ समर्थित सगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान ईवीएम की शव यात्रा निकाली गई और ईवीएम का दहन किया गया।
धरने को सम्बोधित करते हुए बी.एम.पी के प्रदेशध्यक्ष मोतीराम मेणसा ने कहा कि वर्ष 2004 व 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद डॉ. सबहण्य स्वामी भारतीय जनता पार्टी के सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जी.वी.एल नरसीम्हाराव ने ईवीएम मशीन के विरुद्व में सबूत इक्ठठा करके दिल्ली हाई कोर्ट में केश दायर किया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस केस को रदद कर दिया। हाईकोर्ट के निर्णय के विरोध में डॉ. स्वामी सुप्रिम कोर्ट गये सुप्रिम कोर्ट ने ईवीएम मशीन के विरुद्व में यह कहते हुए फैसला दिया कि केवल ईवीएम मशीन के आधार पर निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकता ईवीएम मशीन से मतदाताओं का विश्वास उठ गया है उस विश्वास को बहाल करने के लिए ईवीएम मशीन का घोटाला पकड़ने वाली मशीन वी.वी.पी.एटी जोड़ने के लिए 8 अक्टूबर 2013 को सुप्रिम कोर्ट ने ऐतीयासीक निर्णया लिया। जिसकी खबर आज-तक मिड़िया में नहीं छपी जिसकी वजह से भारतीय प्रजा को इस निर्णय के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली इसलिए भारतीय प्रजा ईवीएम के बारे में भ्रम की शिकार है।
भारत मुक्ति मोर्चा के प्रदेशअध्यक्ष मुकेश घारु ने कहा कि भारत का चुनाव आयोग चुनाव में वोटिग प्रतिशत बढानें के लिए अभियान चला रहा है यह अभियान उतरप्रदेश में भी चलाया था इसके हमारे पास सबूत है मगर चुनाव आयोग ने पेपर टेªल के बारे में सुप्रिम कोर्ट ने जो आदेश दिया उस आदेश के बारे में मिड़िया ने खबरे न छापने के बाद चुनाव आयोग के द्वारा जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए था।
भारत के सविधान निर्माताओं ने चुनाव आयोग को स्वायत रखा अर्थात चुनाव आयोग भारत सरकार के अधीन कोई विभाग के जैसा नहीं है। चुनाव आयोग भारत सरकार के आदेश पर नहीं चलता है जब सविधान निर्माताओं ने इतना बड़ा अधिकार दिया है यह अधिकार वोट प्रतिशत बढानें के लिए जिम्मेवारी का निवर्हन करने के लिए नहीं दिया। यह अधिकार निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सम्पन्न करने के लिए दिया।
उदाराम मेघवाल ने कहा कि वोट प्रतिशत बढानें का काम राजनितिक पार्टी के विश्वसनीयता पर निर्भर है राजनितिक पार्टीयों की विश्वयनीयता कमजोर हो गई है यदि राजनितिक पार्टीयों की विश्वसनीयता बढ़ जाती है तो वोट प्रतिशत बढ़ेगा। चुनाव आयोग राजनितिक पार्टीयों की मदद करने के काम में क्यों लगा हुआ है। सुप्रिम कोर्ट के आदेश पर अमल करने के सदर्भ में यह बात सिद्व होती है कि चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीन में पेपर टेªल लगाने की तत्परता नहीं दिखाई इसीलिए चुनाव आयोग के विरुद्व में और चुनाव आयोग को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास करानें के लिए उसके विरुद्व में आन्दोलन कर रहे है।
बीवीएम प्रदेश कार्यकारणी सदस्य जोगाराम मंगल ने कहा कि चुनाव आयोग को पेपर टेªेल लगाने का आदेश सुप्रिम कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2013 को दिया था मगर इस आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ निश्चित रुप से चुनाव आयोग का यह आचरण न्यायपालिक की अवमानना है और इसलिए सुप्रिम कोर्ट में चुनाव आयोग के विरुद्व में न्यायपालिका के अवमानना की हमारे केश विचाराधीन है यदि इस केस पर हमें जल्दी न्याय नहीं मिला तो इसके लिए निर्वाचन आयोग जिम्मेदार है।
इस दौरान कानाराम बारुपाल, अशोक जोगल, रेवदान धन्दे, संरपच सवाई पूनड़, नरसाराम पंवार, श्रवण भील, असरफ खान, दोस्तअली, मनोज पंवार, हरीश गढवीर, धनेश जयपाल, उगम बालाच, पुखराज वणल, पासराज वणल, मुलाराम पुनड़, तिलाराम, रुगाराम भील, तेजाराम, नरेशकुमार, गजेन्द्र, नारायण वागेला, मेवाराम गर्ग, जोगाराम, मदन मेघवाल, सुरेश कागा, फगलुराम मं

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