यहां यह भी उल्लेखनीय है कि देवनानी ने यह स्वीकार किया है कि उनके पास प्रोफेसर की शैक्षिक योग्यता और डिग्री नहीं है, लेकिन लोग उन्हें प्रोफेसर के नाम से बुलाते हैं, इसलिए उन्होंने अपने नाम से पहले प्रोफेसर शब्द लगा रखा है। अर्थात उनको इस शब्द के उपयोग में कोई गलती नजर नहीं आती। तभी तो इसी कड़ी में तर्क दिया है कि कोई भी ब्राह्मण अपने नाम के आगे पंडित शब्द लगा लेता है, जबकि उसके पास इसकी कोई डिग्री नहीं होती। यह तर्क एक बहस उत्पन्न करता है। वस्तुत: प्रोफेसर शब्द एक सरकारी पद है, जिसकी बाकायदा डिग्री व अर्हता होती है, जबकि पंडित पांडित्य करने वाले को कहा जाता है, जिसकी कोई डिग्री नहीं होती। दोनों की तुलना सटीक प्रतीत नहीं होती। ऐसे तो संघ विचारधारा के शीर्ष पुरुष स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम के आगे लगे पंडित शब्द पर भी सवाल उठता है, उन्होंने कौन सी पंडित होने की डिग्री ली थी। कुल मिला कर देवनानी ने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए जो तर्क चुना, वह ब्राह्मण समाज में नाराजगी पैदा कर सकता है।
सोशल मीडिया पर तो इसको लेकर टीका टिप्पणियां शुरू भी हो गई हैं। एक शख्स ने तो टिप्पणी की है कि प्रोफेसर शब्द लगाने की सफाई में पंडित शब्द पर टीका करना और ब्राह्मणों पर कटाक्ष करना बेहद गंभीर है। अपनी गलती छिपाने के लिए ऐसी हरकत करने के लिए उन्हें ब्राह्मण समाज से माफी मांगनी चाहिए।
अगर ब्राह्मण समाज इसको मुद्दा बनाता है तो यह देवनानी केलिए दिक्कत पैदा कर सकता है। किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के लिए समुदाय विशेष की नाराजगी कितनी गंभीर होती है, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
देवनानी का कहना है कि उन्हें अभी हाईकोर्ट का नोटिस नहीं मिला है। मिलेगा तो जवाब दे दिया जाएगा। उन्होंने प्रोफेसर शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रोफेसर का हिंदी में अर्थ होता है प्राध्यापक, यानि कि व्याख्याता से ऊपर का पद। जो प्राध्यापक है, वह प्रोफेसर शब्द का इस्तेमाल कर सकता है। उनका यह तर्क हाईकोर्ट में कितना टिकता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। मगर इससे इस अवधारणा पर तो सवाल उठता ही है कि कानूनी रूप से प्रोफेसर शब्द का उपयोग वही कर सकता है, जिसने कि पीएचडी की हो और प्रोफेसर के रूप में नौकरी कर रहा हो या कर चुका हो।
ज्ञातव्य है कि राजस्थान हाईकोर्ट में अजमेर निवासी लोकेश शर्मा की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मनीष भंडारी की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर राज्य के मुख्य सचिव व देवनानी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। । लोकेश शर्मा की एडवोकेट मनजीत कौर ने बताया कि देवनानी केवल बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री लिए हुए हैं। उन्होंने न तो पीएचडी की डिग्री ली और न ही कभी प्रोफेसर रहे।
-तेजवानी गिरधर
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Education minister se ess taraha ke statement ki ummed nahi ki ja Sakti,ya to education minister ko Gyan nahi hai aur ya ye bhokhalahut hai