जिला परिषद में संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित

सभी विभाग समन्वय के साथ करें कार्य-जिला कलक्टर
IMG_20170427_105041बीकानेर, 27 अप्रैल। सभी विभाग मिलकर एक लक्ष्य के साथ कार्य योजना तैयार करें। स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर गतिविधियां संचालित हांे तथा उपलब्ध संसाधनों का सकारात्मक उपयोग किया जाए।
जिला कलक्टर वेदप्रकाश ने गुरूवार को जिला परिषद सभागार में एक दिवसीय मिशन वाटर कंजर्वेशन प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) फ्रेम वर्क पर संभाग स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही। कार्यशाला मंे संभाग के सभी जिलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अधीक्षण अभियंता (जलग्रहण), अधीक्षण अभियंता भू-संरक्षण, वन विभाग के उपवन संरक्षक, संयुक्त निदेशक कृषि, संयुक्त उपनिदेशक पशुपालन, अधिशाषी अभियंता ईजीएस व काजरी, नाबार्ड के प्रतिनिधि सेंटर गाइड वाटर बोर्ड जयपुर तथा रिजनल रिमोट रोशिग सेंटर जोधपुर के प्रतिनिधि मौजूद थे।
कार्यशाला के शुभारम्भ सत्रा में जिला परिषद बीकानेर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नम्रता वृष्णि, एसीइओ मोहनदान रतनू, उपवन संरक्षक डॉ. शलभ कुमार तथा चूरू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेन्द्र लोढा मौजूद थे। अधीक्षण अभियंता जलग्रहण भागीरथ बिश्नोई ने कहा कि जल महत्त्वपूर्ण तत्त्व है और वाटर हार्वेस्टिंग कंजर्वेशन, वर्तमान की परिस्थितियों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। आज के समय में मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान काफी प्रभावी रूप से जल संरक्षण के क्षेत्रा में उपयोगी सिद्ध हुआ है।
जोधपुर के वैज्ञानिक सागर सालूखें ने बताया कि भुवन एप्प व रिमोट सेंसिंग के क्षेत्रा में इंटरनेट के माध्यम से काफी नवाचार हुए हैं। जिससे भूमि व जल के संसाधनों का सार्थक रूप से प्रयोग किया जा सके। उन्होंने भू-गर्भ के जल स्तर के गिरने पर चिंता जताई तथा ऑनलाइन डेटा एंट्री व टारगेट मेपिंग के बारे में बताया। इसरो के इंजीनियर शशिकांत शर्मा ने एस्सेट मेपिंग क्रियांवयन एवं निरीक्षण के साथ जीओ टेगिंग की जानकारी दी। काजरी बीकानेर के अध्यक्ष व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एन. वी. यादव ने बताया कि काजरी द्वारा वनस्पति संरक्षण क्षेत्रा में काफी वर्षों से कार्य किया जा रहा है।
उपवन संरक्षक डॉ. शलभ कुमार ने कहा कि सामान्य तकनीकी के साथ योग्यता का अपना महत्त्व है। इसके लिए उपलब्ध स्त्रोतों को एक लक्ष्य के प्रति सांझा कर लक्ष्य प्राप्त किए जाएं, तो दूरगामी परिणाम आएंगे। उन्होंने जल संरक्षण को मिशन के रूप में लेने के साथ, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधित उपयोग की बात कही। एसपीडब्लयूडी, उदयपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. जगदीश पुरोहित ने जीआईएस व रिमोट सेंसिंग के बारे मे बताया। मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चूरू महेन्द्र लोढा ने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के साथ, जल संरक्षण के विचार को इस प्रकार की कार्यशालाओं के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक पहुंचाने की बात कही।
अधिशाषी अभियंता ईजीएस, जयपुर अरविंद सक्सेना ने बताया कि इससे पूर्व 5 संभाग मुख्यालयों पर यह कार्यशाला आयोजित की जा चुकी है, जिसका उद््देश्य जल संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के मूल स्वरूप को राज्य के प्रत्येक ब्लॉक तक पहुंचाना है। अधिशाषी अभियंता, इजीएस बीकानेर सुरेश खत्राी ने संभागीयों का आभार व्यक्त किया। संचालन महेन्द्र सिंह शेखावत एवं सुनील जोशी ने किया।

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