सामाजिक कार्यकर्ताओं को सजा दिए जाने पर असहमति

jaipur samacharफ़िरोज़ खान
जयपुर13 जून।, आज किशनगढ़ की निचली अदालत द्वारा सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता निखिल डे, नोरती देवी, राम करण, छोटूलाल मालाकार को फ़र्ज़ी मामले में धारा 323, 451 IPC में दोषी ठहराकर चार महीने की सजा दिए जाने का पी यू सी एल ने विरोध करते हुआ अपनी पूर्ण रूप से असहमति व्यक्त की है|

पी यु सी एल का मानना है कि निर्णय में महत्वपूर्ण साक्ष्यों की अनदेखी की गई व परिस्थितयो को दृषिटगत नही रखा गया है।

पी यु सी एल की राज्य अध्यक्ष सुश्री कविता श्रीवास्तव ने बताया कि 6मई 1998के इस मामले में में उपरोक्त सामाजिक कार्यकर्त्ता हरमाड़ा सरपंच से सूचना मांगने गए थे, तब उनके साथ बदसलूकी व मारपीट की गयी थी।मगर सरपंच के लोगो ने साथ उल्टा उन्ही पर फ़र्ज़ी केस लगा गया। इससे पूर्व सरपंच से माह फ़रवरी से लेकर कु 73 बार लिखित में सूचना मांगी गयी थी। जो उसने नही दी। सामाजिक कार्यकर्त्ता बी डी ओ का इस सम्बन्ध में सूचना जारी करने का आदेश लेकर सरपंच से मिलने गए तो उनके साथ मार पीट व दुर्व्यवहार किया गया। नौरती देवी के साथ जाती सूचक अपशब्द कहे गए। सरपंच के लोगो के द्वारा पुलिस में मामला दर्ज़ करवाने पर भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने झूठा मामला होने के कारन कोई शिकायत दर्ज़ नही कराइ गयी
इसके पश्चात पुलिस जांच के बाद मामला झूठ होने के कारन प्रकरण बंद कर दिया गया था। किन्तु 2001 में न्यायलय द्वारा यह प्रकरण सरपंच के लोगो ने खुलवा दिया। तब से यह विचाराधीन था।न्यायालय का वर्तमान आदेश में प्रकरण के साक्ष्यो पर पर ध्यान नही दिया गया है। सभी कार्यककर्ता शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखने के कारण दुनिया में जाने जाते है।

राज्य महासचिव डॉ अनन्त भटनागर ने कहा कि निखिल डे, नोरती ,रामकरण व अन्य साथी सुचना के अधिकार व रोज़ी रोटी, सामाजिक सुरक्षा को लेकर देेश में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं तो उनपर यह आरोप व सज़ा उनका मनोबल गिराने व आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है ।

पी यू सी एल ने कहा कि अदालत के इस निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे, व ज़मानत तुरंत लेने की कोशिश करेंगे। न्याय व सत्य के मार्ग पर चलने वालो के साथ सतत संघर्ष किया जायेगा।

देश भर से सभी आंदोलनकर्ता इनके साथ एकजुटता प्रकट की है।

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