शहीद मंगल पांडे की 190 वीं जयंती मनाई

bikaner samacharबीकानेर 18 जुलाई । शाकद्वीपीय ब्राह्मण बन्धु चेरिटेबल ट्र्स्ट, सखा संगम और शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की तरफ से श्री संगीत भारती परिसर में शहीद मंगल पांडे की 190 वीं जयंती के पूर्व दिवस पर आयोजित श्रद्धांजली कार्यक्रम में शहीद मंगल पांडे के तेलचित्र पर पुष्प चढाकर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सखा संगम के अध्यक्ष समाजसेवी एन.डी.रंगा ने कहा कि 1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडे ने अंग्रेजों के मंतव्य को समझते हुए दम दम से विरोध शुरु किया । उन्होंने खुली परेड में अंग्रेजों के अत्याचारों का कच्चा चिट्ठा खोला । परिणाम स्वरुप स्वतंत्रता संग्राम महा यज्ञ में प्रथम आहुति 8 अप्रेल 1857 के दिन सिपाही नम्बर 1446 मंगल पांडे को भोर में 5.30 बजे बिहार के छोटे से कस्बे चतरा में फांसी पर लटका दिया गया । मुख्य अतिथि तैराकी संघ के जिला सचिव एवं प्रदेश उपाध्यक्ष चन्द्रशेखर जोशी ने कहा कि शाकद्वीपीय ब्राह्मण मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तरप्रदेश के बलिया के एक गरीब परिवार में हुआ । 1850 में वे सेना में भर्ती हुए । उन्हें 34 नम्बर की पलटन में रखा गया । खुली परेड में पांडे ने अंग्रेजों के अत्याचार का विरोद्ध किया तो सार्जेंट ह्यूसन ने। उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश दिए मगर हिन्दुस्तानी जवानों ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया और मंगल पांडे ने उस अफसर को मार डाला । कर्नल हीलर ने अंग्रेज टुकडी बुलाई और घायल मंगल पांडे को पकडकर कैद में डाल दिया । शाकद्वीपीय ब्राह्मण बन्धु चेरीटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष आर.के.शर्मा ने कहा कि महान क्रांतिकारी मंगल पांडे शाकद्वीपीय ब्राह्मण थे । जिनकी शहादत की गाथा उत्तरप्रदेश व बिहार में जन जन द्वारा गाई जाती है । उन्होंने देश के लिए शहीद होकर समाज का नाम रोशन किया । कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मुरारी शर्मा ने जनकवि बुलाकीदास बावरा का गीत ‘कहां कश्ती है कहां किनारा’ सुनाते हुए कहा कि अमर शहीद मंगल पांडे एक आग धधकती भट्टी था । इतने कष्ट सहने के बाद भी वह आजादी का दीवाना टूटा नहीं । शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि स्व धर्म और स्वराज्य के लिए लडे गए 1857 के प्रथम स्वतंत्रता समर में भाग लेने वाले सभी कांतिकारियों को कुछ समय तक पांडे नाम से सम्बोधित किया जाने लगा । कार्यक्रम का संयोजन करते हुए युवा मंच संचालक, कवि संजय आचार्य वरुण ने कहा कि विद्रोह का बिगुल बजाने और उपनिवेशवाद के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले महान बलिदानी मंगल पांडे के हौसलों से हमें सीख लेनी चाहिए । कार्यक्रम के अंत में शिक्षाविद खुशालचन्द रंगा की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर सभी ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । सभी के प्रति आभार ज्ञापित समाजसेवी जन्मेजय व्यास ने किया ।
राजाराम स्वर्णकार मो.न. 9314754724

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