अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने दी बाल अधिकारों की जानकारी
बीकानेर, 15 फरवरी। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने गुरुवार को खाजूवाला तहसील में भारत-पाक सीमांत क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांवाें का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने स्कूल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों की व्यवस्थाएं देखीं। बच्चों के साथ खेलीं। उनके अधिकारों के बारे में बातचीत की। पालनहार योजना के पात्र बच्चों के आवेदन भरवाए। बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा की पैरवी की तथा बाल संरक्षण इकाईयों के गठन के निर्देश दिए।
चतुर्वेदी ने जिले में ‘भारतमाला बचपन यात्रा’ के दूसरे दिन इन गांवों का दौरा किया। उन्होंने खाजूवाला क्षेत्र में ब्लॉक व स्कूल स्तर पर बाल संरक्षण इकाईयों के गठन की समीक्षा की। इन इकाईयों द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जाना। स्कूलों में चाइल्ड हैल्प लाइन 1098 तथा शिकायत पेटिका की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्कूल में यह इकाईयां गठित हो जाएं। बच्चों को उनके अधिकारों की जानकारी हो। उन्होंने गुलामअलीवाला, आनंदगढ़, गुल्लूवाली, 2 केएलडी, दंतौर, 6बीडी, 10 बीडी आदि गांवों का दौरा किया। ‘भारतमाला बचपन यात्रा’ की जानकारी दी।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने बताया कि बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे गांवों की समस्याओं को जानने के लिए बाड़मेर के चौहटन से श्रीगंगानगर के हिंदुमलकोट तक इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। बारह दिनों की यात्रा के दौरान लगभग 80 गांवों में बच्चों से रूबरू होने तथा उनकी समस्याएं सुनने के प्रयास किए जाएंगे। इस दौरान पालनहार, राजश्री सहित विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार, स्कूल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों की व्यवस्थाओं की जानकारी, कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराधों से बचाव के प्रति जागरूक करने जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
पालनहार के लाभांवितों के करवाए आवेदन
बल्लर में निरीक्षण के दौरान उन्हें पालनहार योजना के पात्र दस बच्चे मिले। उन्होंने ग्राम सेवक को मौके पर तलब करते हुए इनके आवेदन भरवाने के निर्देश दिए। यात्रा के दौरान प्रत्येक गांव में पालनहार योजना के पात्र चार-पांच बच्चे मिले। उन्होंने पालनहार योजना के लाभांवितों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस कार्य को अधिकारी पूर्ण संवेदनशीलता से करें। स्कूलों के निरीक्षण के दौरान उन्होंने शिकायत पेटिकाएं देखीं।
उच्च शिक्षार्जन कर सकेंगी बेटियां
2 केएलडी के उच्च माध्यमिक स्कूल में छात्राओं से बातचीत के दौरान चतुर्वेदी ने पूछा कि, बारहवीं के बाद वे क्या करेंगी? छात्राओं ने ग्रेजुएशन करने की इच्छा जताई। इस दौरान चतुर्वेदी ने इन बच्चियों के खाजूवाला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान आवास की व्यवस्था के लिए सरपंच से आग्रह किया। इसे स्वीकार करते हुए सरपंच ने भरोसा दिलाया कि वे इन बच्चियों के लिए उच्च शिक्षार्जन के दौरान खाजूवाला में आवास की निःशुल्क व्यवस्था करेंगे।
बच्चाें के साथ खो गई ‘मनन’
ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे में अनेक स्थानों पर चतुर्वेदी बच्चों के साथ घुल-मिल गईं। उन्होंने बच्चों के साथ परम्परागत खेल खेले। जीवन में खेलों के महत्त्व की जानकारी दी तथा पढ़ने के साथ खेलने की सीख दी। बच्चों से पोषाहार के बारे में पूछा। आनंदगढ़ के उच्च प्राथमिक विद्यालय की बच्चियों ने स्कूल क्रमोन्नत करने, आंगनबाड़ी केन्द्र को ठीक करवाने की मांग की। इस दौरान उपखण्ड अधिकारी रमेश देव, तहसीलदार सूरजभान बिश्नोई, विकास अधिकारी शीला देवी, बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक कविता स्वामी, किसनाराम लोल सहित विभिन्न अधिकारी साथ थे।
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सहकारी संस्थाआें का ऑडिट सुनिश्चित करने के निर्देश
बीकानेर, 15 फरवरी। संभाग के चारों की जिलों की सहकारी सोसाइटियों को ऑडिट सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।
क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारी राजेश कुमार टाक ने बताया कि राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 54 के अन्तर्गत प्रत्येक सहकारी सोसायटी की प्रतिवर्ष ऑडिट होनी आवश्यक है। वर्तमान में वर्ष 2016-17 के लेखो की लेखा-परीक्षा का कार्य चल रहा है। कुछ सोसाइटियों की ऑडिट हेतु उस सोसाइटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ऑडिटर को रिकॉर्ड उपलब्ध न करवाने से ऑडिट समय पर नहीं हो पा रही है। जिन समितियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों द्वारा ऑडिटर्स को रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है, वे ऑडिटर्स लिखित में रिकॉर्ड प्राप्ति हेतु ऑडिट मीमो संबंधित मुख्य कार्यकारी को तामील करवाएं।
यदि मीमो के अनुसार रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाया जाता है और ऑडिटर को ऎसा महसूस होता है कि सासाइटी की निधियों तथा सम्पति का दुर्विनियोग तथा दुरूपयोग किए जाने की सम्भावना है या ऑडिट हेतु आवश्यक पुस्तकों, लेखाओं, दस्तावेजो को नष्ट कर दिए जाने या बिगाड़ दिए जाने की संभावना है, तो, ऑडिटर जिले के उप रजिस्ट्रार को इसके संबंध में निवेदन करे जिससे उप रजिस्ट्रार द्वारा स्वयं या किसी व्यक्ति को प्राधिकृत करके सोसायटी के अभिलेखों की तलाशी, अभिग्रहण और कब्जे में लेने के लिए प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन किया जा सके।
इसके अलावा ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ऑडिट के मामले में, रिकॉर्ड प्राप्त न होने पर संबंधित केन्द्रीय सहकारी बैंक लि. के अधिशाषी अधिकारी को तथा दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के मामले में, संबंधित दुग्ध संघ के प्रबंध संचालक को भी अवगत करावें जिससे उनके द्वारा रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने हेतु कार्रवाई की जा सके ।
उन्होंने बताया कि ऑडिट करवाना प्रत्येक सोसाइटी के संचालक मण्डल का भी दायित्व हैे और ऑडिट न करवाने पर अधिनियम की धारा 28(11) के तहत सोसाइटी के संचालक मंण्डल के ऎसे दायित्वाधीन किसी भी सदस्य या सभी सदस्यों को छः साल के लिए निरर्ह(अयोग्य)घोषित किया जा सकता हैं । ऎसा निरर्ह घोषित सदस्य आगामी 6 साल तक उस सोसाइटी का निर्वाचन नहीं लड़ सकता है । रिकॉर्ड उपलब्ध न करवाने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अधिनियम की धारा 109(1)(ज)एवं 109(2)(ज)के तहत तीन से 12 माह तक के कारावास एवं पच्चीस हजार रूपय के जुर्माने का प्रावधान भी है। अधिनियम की धारा 110 में वर्णित प्रक्रिया की पालना की जाकर ऎसी कार्रवाई भी करवाई जा सकती हैं।