साहित्य इतिहास एवं पत्रकारिता की दृष्टि से अमूल्य कृति है हिन्दुत्व की छाया में इण्डोनेशिया- प्रो. कौशलनाथ उपाध्याय
जोधपुर 18 फरवरी। सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा जेएनवीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) कौशलनाथ उपाध्याय ने कहा है कि डॉ. मोहनलाल गुप्ता की पुस्तक हिन्दुत्व की छाया में इण्डोनेशिया साहित्य इतिहास एवं पत्रकारिता की दृष्टि से अमूल्य कृति है।
प्रो. उपाध्याय आज राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा स्वामी कृष्णानंद स्मृति सभागृह जोधपुर में आयोजित पाठक मंच गोष्ठी में मुख्य अतिथि के आसन से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि डॉ. गुप्ता ने बाली, जावा, जकार्ता एवं योग्यकार्ता आदि द्वीपों तथा नगरों की यात्रा करके अनुभवों को काम में लेते हुए विपुल शोध के साथ इस ग्रंथ का लेखन किया है। इसमें इतिहासकार की शोधपरक दृष्टि, साहित्यकार की संवेदना एवं पत्रकार की घुमक्कड़ी प्रवृत्ति का अद्भुत समन्यव देखने को मिलता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सृजना की अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध कथाकार सुषमा चौहान ने कहा कि इस पुस्तक में हिन्दुत्व के सम्बन्ध में जो अवधारणा दी गई है, वह हमारे मन के बहुत से प्रश्नों का समाधान करती है। डॉ. गुप्ता ने भारत की प्राचीन संस्कृति को इण्डोनेशियाई द्वीपों में चिह्नित करने का श्रमसाध्य कार्य किया है।
पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए जेएनवीयू के हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रो. कैलाश कौशल ने कहा कि छः दर्जन पुस्तकों के रचयिता डॉ. मोहनलाल गुप्ता अपनी सद्य प्रकाशित पुस्तक हिन्दुत्व की छाया में इण्डोनेशिया में इण्डोनेशियाई संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन करते हुए भारतीय संस्कृति के साथ उसका तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने इण्डोनेशिया के सांस्कृतिक परिवेश का प्रभावशाली वर्णन किया है। इस पुस्तक में पाठक आरम्भ से अंत तक रोचकता के पुट से बंधा हुआ रहता है।
सुप्रसिद्ध उपन्यासकार दीप्ति कुलश्रेष्ठ ने पुस्तक पर पत्र वाचन करते हुए इसकी बहुआयामी विशेषताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक गागर में सागर है। लेखक ने रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक यात्रा विवरण के साथ-साथ इण्डोनेशियाई द्वीपों के इतिहास, साहित्य, संस्कृति, तीज त्यौहार, मूर्तिकला आदि का भी विशद वर्णन किया है। लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से भारत देश में सांस्कृतिक प्रश्नों में घुली हुई राजनीति पर चिंता भी व्यक्त की है।
इस अवसर पर लेखक ने अपने यात्रा संस्मरण पाठकों के साथ साझा करते हुए कहा कि हिन्दुत्व प्राचीन एवं गौरवशाली संस्कृति है जिसका विस्तार हिन्दुकुश पर्वत से लेकर लंका, थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, वियतनाम आदि विभिन्न देशों में देखने को मिलता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. शैलेन्द्र स्वामी ने किया। कार्यक्रम के अंत में मोहनदास वैष्णव द्वारा अतिथि साहित्यकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर डॉ. हरिदास व्यास, चांदकौर जोशी, बसंती पंवार, जुगल किशोर बोड़ा, शिवनाथ मिश्र, हरिप्रकाश राठी, किशन गोपाल जोशी, डॉ. अनुलता गहलोत साहित अनेक साहित्यकार एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया तथा श्री मुमुक्षु मण्डल सेवा संस्थान द्वारा प्रकाशित ज्ञान ग्रंथ यज्ञ भेंट किया गया।
– डॉ. शैलेन्द्र स्वामी
संयोजक
पाठक मंच गोष्ठी
राजस्थान साहित्य अकादमी
