योग करें, रहें निरोग
योग गुरु डॉ. दिव्या कहती हैं, महिलाओं में जो भी एजिंग का प्रासेस चलता है वह स्पाइनल कार्ड से जुड़ा होता है। जब योग करते हैं तो स्पाइन रिलैक्स होती है और वह बॉडी को प्रभावित करता है। प्राणायाम करने से स्किन पर काफी ग्लो आता है। आजकल महिलाएं ओबेसिटी (मोटापे) का शिकार हो रही हैं क्योंकि अब वे झाड़ू-पोछा जैसे घरेलू काम नहीं करती हैं। जिसकी वजह से शरीर में फैट बढ़ता है। जो महिलाएं योग या एक्सरसाइज नहीं करती हैं वे सूक्ष्म व्यायाम से शुरू करें फिर योग का अभ्यास करें । योग एक ऐसा माध्यम है जो शरीर की क्षमता के अनुसार और किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही करना चाहिए। पहले दिन से धीरे-धीरे अभ्यास शुरू करना चाहिए। अक्सर महिलाएं कहती हैं कि आज हमने दस बार या पंद्रह बार कपाल भांति की जो सही नहीं है। योग से शरीर को आराम मिलता है और थकान महसूस नहीं होती है। यदि किसी महिला को योग करने के बाद थकान महसूस होती है तो इसका मतलब उसने गलत तरीके से योग किया है। कुछ लोग टीवी पर सीडी के जरिए घर पर योग करने लगते हैं जो खतरनाक होता है। अच्छा तो यही कि महिलायें किसी प्रशिक्षित गुरु की निगरानी में ही योग या एक्सरसाइज करें।
मन को रखें खुश
मनोवैज्ञानिक, डॉ. सृष्टि श्रीवास्तव कहती हैं, वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) कहता है कि स्वस्थ रहने का मतलब केवल रोग मुक्त होना नहीं है बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी है। शारीरिक ही नहीं मानसिक, संवेगात्मक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहना भी जरूरी है। तभी व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ माना जाता है। अक्सर देखा जाता है कि मेंटल हेल्थ के लिए कोई कुछ नहीं करता। जिस तरह बीमार होने पर डॉक्टर को दिखाया जाता है उसी तरह मानसिक समस्याओं के लिए मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए। हेल्दी रहने के लिए खुश रहना बहुत जरूरी है। सही मायनों में खुशी तभी मिलेगी जब लोगों से मेल भाव बढ़ेगा, आपस में बातचीत होगी। फील गुड वाली अवस्था अगर आ रही है तो समझ लीजिए कि आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं। वहीं, आज के व्यस्त समय में बदलती लाइफ स्टाइल के कारण हैप्पीनेस इंडेक्स कम होती जा रही है। यदि निरंतर मानसिक तनाव बढ़ेगा तो मानसिक स्वास्थ्य के साथ हार्ट, लीवर, त्वचा रोग, पाचन तंत्र आदि से संबंधित रोग होने लगते हैं। इसलिए महिलाएं रोज या सप्ताह में दिन कोई ऐसा निकालें जिसमें वह अपनी पसंद के काम कर सकें। डांस, यूजिक, आर्ट एंड क्राट, पेंटिंग, घूमना-फिरना, शॉपिंग जो भी अच्छा लगे और जिससे मन को खुशी और संतुष्टि मिले वह काम जरूर करें। निसंदेह महिलाओं को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिये । मातायें-बहिने जहाँ अपने परिवार की सेहत का भी खयाल रखती हैं वहीं उन्हें अपनी सेहत के बारें में भी ध्यान रखना चाहिये । प्रॉपर नींद और आराम स्वास्थ्य के लिये बहुत जरूरी है इसलिए महिलाओं को कम से कम आठ घंटे सोना चाहिए।
सकंलनकर्ता——डा. जे.के.गर्ग