देर-सवेर भाजपा को यह फैसला करना ही पड़ेगा एक अच्छा मुकाबला होगा सचिन व राठौड़ के बीच बाकी तो कांग्रेस व भाजपा के नेता आपस में मिले हुऐ हैं , और नूराकुश्ती ही लडेंगे जैसे आजतक लडते आये हैं बस अखबारों में ही लडते हैं बाकी अंदर खाने एक हैं और दोनों ही फ्रेक्चर मेंडेट चाहते हैं वो ऐसा क्यों चाहते हैं आप सभी मेरे आदरणीय पाठक जानते हैं ,
राठौड़ मूलतः जैसलमेर के रहने वाले हैं, बीकानेर में पले-बढ़े हैं, जयपुर में उनका घर है, फिलहाल वे दिल्ली में रहते हैं, राजस्थान की जनता में इन बड़े स्थानों का वैसे भी विशेष महत्व है और भाजपा में रिक्त चल रहे राजपूत नेतृत्व की जगह सिर्फ राठौड़ ही भर सकेंगे, चूंकि भाजपा चाहे जितने दावे करे जाट समुदाय के लोग कांग्रेस के साथ ही रहने वाले हैं, केवल अभी भाजपा को लोक लुभावन सपने दिखा कर राज हथिया रहे हैं और इस काम को मलाईदार पदों पर बैठे अधिकारी बखुबी निभा रहे हैं , ऐसे में भाजपा को इस दूसरे ताकतवर राजपूत समाज को अभी से अपने साथ ले लेना चाहिये और आजकल तो रावणा राजपूतों भी राजपूतो के साथ जाजम और बाजोट पर साथ बैठने लग गये हैं और राजपूतों से राजनीतिक रूप से ज्यादा समझदार हो गये है , आदरणीय बाबोसा भैरोंसिंह शेखावत ने इन दोनों जातों के भरोसे सदा राज किया था ,
मुझे उम्मीद है कि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भाजपा के भैरोंसिंह शेखावत साबित होंगे।
राजेश टंडन, वकील, अजमेर।