उत्तम क्षमादि दस गुणो की आराधना

केकड़ी 16 सितंबर। कस्बे के दिगम्बर जैन मंदिरों मे दशलक्षण महापर्व पर उत्तम क्षमादि दस गुणो की आराधना की जा रही है। इन्ही गुणो की आराधना ‍के लिए रविवार को तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा-अर्चना की गई। प्रात: जिन प्रतिमाओं के कलशाभिषेक, शांतिधारा,पूजन सहित अन्य कार्यक्रम हुए।
विद्यासागर मार्ग स्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय में सुबह इंदौर मध्यप्रदेश से पधारे पंडित अंशुल जैन शास्त्री के मुखारबिंद द्वारा मंत्रोच्चार के बीच रजत कलशो से जिन अभिषेक पश्चात शांतिधारा की गई जिसका सौभाग्य प्रेमचंद नरेन्द्र कुमार सेठी, सुरेश कुमार नरेश कुमार रांवका, विनोद कुमार रोमिल कुमार पाटनी, पदमचंद मुकेश कुमार जैन, कैलाश चंद सुशील कुमार पाटनी,राशि बाकलीवाल परिवार किशनगढ़ को मिला। इसी क्रम में भक्तगणों ने आगमानुसार भक्ति-भाव से संगीत के साथ पूजन अर्चना की गई। दशलक्षण महामंडल विधान के दौरान श्रद्धालु कमल ठोलिया एवं ऋषभ जैन द्वारा श्रीफल अर्ध समर्पित किए गए। प्रवासी सांगानेर से पधारे पंडित श्रैयांस जैन द्वारा पूजन,दशलक्षण मंडल विधान के दौरान मंत्रोच्चार की क्रियाओं में विशेष सहयोग किया जा रहा है।
पंडित अंशुल जैन शास्त्री ने उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन करते हुए कहा कि अपने स्वभाव में ऋजुता, सीधापन, सरलता के भाव रखना,सहज रहना,निष्कपट जीवन जीना, कुटिलता, मायाचारी, धोखाधड़ी का त्याग करना ही आर्जव है। उन्होंने कहा कि मन में कुछ, वचन में कुछ और प्रकट में कुछ ऐसी प्रवृत्ति मायाचारी है। इस माया कषाय को छोड़कर मन, वचन,काय की क्रिया में एकरूपता लाना ही उत्तम आर्जव धर्म है। मायाचारी अनंत कष्टो, दुखों को देने वाली तिर्यंच गति को देने वाली होती है और संसार परिभ्रमण कराती है। जबकि ऋजु भाव ,सरल भाव अनंत सुखो की ओर ले जाते है।
सायंकालीन संगीतमय महाआरती के बाद भक्ति संगीत के दौरान समाज के युवाओं द्वारा प्रस्तुत एक से बढ़कर एक सुमधुर धुनों पर भजनों की प्रस्तुतियो के दौरान श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर भक्ति नृत्य किया। इसी अवसर पर पंडित अंशुल जैन शास्त्री द्वारा शास्त्र प्रवचन किया गया। नवकार सोशल ग्रुप के तत्वावधान में जैन क्विज नामक प्रतियोगिता आयोजित की गई। विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। अक्षय निधि प्रतियोगिता में विजेता जितेन्द्र कुमार बज,इन्द्रा जैन, कविता गंगवाल,संगीता रांवका और स्वीटी गंगवाल को पुरस्कृत किया गया। पूजनादि व्यवस्थाओं में सुनिता पाटनी,सुमन पाटोदी,अंजु भाल,विनोदिनी ठोलिया, दीपक मंगल,समकित जैन, अंकित टौग्या सहित अन्य कई श्रद्धालुओं का योगदान रहा।

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