चलो अभी तो वे अदद विपक्षी विधायक हैं, इस कारण उनकी भूमिका थोड़ी-बहुत समझ में आती है, मगर जब से सत्ता में थे और शिक्षा राज्य मंत्री का जिम्मेदार पद संभाल रहे थे, तबकि लगातार विवादों में बने रहे। कभी अकबर के किले का नाम बदल कर अजमेर का किला करने को लेकर तो कभी ब्राह्मणों के बारे में टिप्पणी करने पर। प्रोफेसर विवाद भी काफी दिन तक चलता रहा। हाल ही ट्रेफिक पुलिस की अधिकारी के साथ हॉट टाक भी खूब चर्चा में रहा।
ऐसा लगता है कि उनके विवादों का सिलसिला थमने वाला नहीं है। अब तो विपक्ष में हैं, इस कारण और अधिक सक्रिय हो जाने वाले हैं। चूंकि शिक्षा राज्य मंत्री रहते उन्होंने संघ विचारधारा को पोषित करने के लिए कई कदम उठाए और दूसरी ओर डोटासरा भी संघ के मामले में कुछ आक्रामक मुद्रा में नजर आते हैं, इस कारण टकराव अवश्यंभावी है। साफ नजर आता है कि डोटासरा उन सभी फैसलों को बदलने वाले हैं, जो कि संघ को खुश करने के लिए उठाए गए थे।
हाल ही जब डोटासरा ने बयान दिया तो देवनानी ने पलटवार किया। इस पर भला कांग्रेसी भी क्यों चुप रहने वाले थे। चूंकि देवनानी प्रतिक्रियावादी मिजाज के हैं, इस कारण कांग्रेसियों को भी उन्हें निशाने पर लेने में मजा आता है। डोटासरा देवनानी के बयान पर कुछ प्रतिक्रिया दें, इससे पहले ही स्थानीय कांग्रेसियों ने देवनानी पर हमला बोल दिया। अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव शिव कुमार बंसल, ललित भटनागर, अशोक बिंदल, आरिफ खान, डॉ संजय पुरोहित आदि देवनानी के बयान की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के कुशासन में देवनानी ने तबादला उद्योग खोल रखा था, जिसकी परिणति में भाजपा के एक विधायक ने देवनानी के साथ अभद्र व्यवहार किया था। आरोप में ये भी कहा गया कि देवनानी ने अजमेर के होने के बावजूद माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। बोर्ड में आज भी स्टाफ की कमी है। उन्होंने विशेष श्रेणी के स्थानांतरण में भी खुल कर कृपा पात्रों और अपने चहेतों को उपकृत किया। शिक्षा विभाग में विभिन्न कार्यालयों में कई कर्मचारियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए पकड़ा। अत: देवनानी को कांग्रेस पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए।
प्रदेश महासचिव ललित भाटी ने बयान जारी किया कि देवनानी के कार्यकाल में उनके जयपुर स्थित सरकारी बंगले पर नियुक्त निजी सहायक पर जयपुर जिले के मंत्रालयिक कर्मचारी ने स्थानांतरण के नाम पर लाखों रुपए लेने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या करने का मामला भी है, देवनानी सरकार में थे, इसलिए कोई ठोस जांच नहीं हो पाई।