निसंदेह शिव सर्व समाज के सर्वमान्य देवता हैं | शिवरात्रि व्रत मनाने का अधिकार ब्राह्मण से लेकर चंडाल तक सभी को है| भोले बाबा के लिए सब एक समान हैं | भगवान शिव महायोगी भी कहलाते हैं, उन्होंने योग साधना के द्वारा अपने जीवन को पवित्र किया है, वे असीमित गुणों के अक्षय भंडार हैं |शिवजी के परिवार में जब बिच्छू , बैल और सिंह , मयूर एवं सर्प और चूहा जैसे घोर विरोधी स्वभाव के प्राणी भी प्रेमपूर्वक साथ साथ प्रेमपूर्वक रहते हैं तो क्यों नहीं हम हमारे समाज एवं देश में बिना किसी भेदभाव के गिरे हुओं को , पिछड़े हुओं को , विभिन्न धर्मों के अनुयायीयो को साथ लेकर चल सकते हैं ?
भांग-धतूरे को भगवान शिवजी पर क्यों चढ़ाया जाता है ? आक,धतूरा, भांग आदि शिव को चढ़ाने की जो परिपाटी है, उसके पीछे यही तथ्य छिपा है कि प्रत्येक वस्तु व्यक्ति के अच्छे-बुरे दोनों पहलू होते हैं, इन नशीले वविषाक्त पदार्थों को शिव को अर्पित करने का अर्थ हुआ उनके शिव-शुभ (औषधीय गुण) को स्वीकार करना किन्तु उनकी अशुभ-व्यसन प्रवर्ती का त्याग कर देना | लाइफ मैनेजमेंट के अनुसार, भगवान शिव को भांग धतूरा चढ़ाने का अर्थ है अपनी बुराइयों को भगवान को समर्पित करना। यानी अगर आप किसी प्रकार का नशा करते हैं तो इसे भगवान को अर्पित करे दें और भविष्य में कभी भी नशीले पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प लें। ऐसा करने से भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी और जीवन सुखमय होगा।
जानिये भोले शिवशंकर से जुड़े रोचक तथ्य और इनमें छिपे लाइफ मैनेजमेंट के गुर
भोले नाथ को सांसारिक होते हुये भी श्मशान का निवासी बोला जाता है, इसके पीछे लाइफ मैनेजमेंट का महत्वपूर्ण रहस्य छिपा है। जानिये कैसे ? सच्चाई में एक तरफ जहाँ संसार मोह-माया का प्रतीक है वहीं दुसरी तरफ श्मशान वैराग्य का प्रतीक है । भगवान शिव कहते हैं कि आदमी को संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य पूरे करने चाहिये वहीं साथ साथ मोह-माया से दूर भी रहना चाहिये। क्योंकि शरीर और संसार नश्वर है। एक न एक दिन यह सब कुछ नष्ट होने वाला है। इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह नहीं रखते हुए अपने कर्तव्य पूरे करने के साथ साथ एक वैरागी की तरह जीना चाहिये।
संकलनकर्ता—डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ——– विभिन्न पत्र पत्रिकायें, शिव भक्तों से प्राप्त जानकारियां एवं मेरी डायरी के पन्ने आदि