सर्जीकल स्ट्राईक ऊर्फ फर्जीकल स्ट्राईक

शिव शंकर गोयल
जहां एक तरफ पौने पांच सालों वाली सरकार और तथाकथित गोदी मीडिया के कुछ लोग यह दावा कर रहे है कि हमने दो दो बार “सर्जीकल स्ट्राईक” की है वही दूसरी तरफ सत्तर सालोंवाली सरकार के रहनुमाओं का कहना है कि मनमोहन सिंहजी के समय पन्द्रह बार “सर्जीकल स्ट्राईक” की गई थी परन्तु सैनिक जानकारों का मानना है कि यह सैनिक ऑपरेशन होते है. इसमें प्रचार कम और ऑपरेशन ज्यादा किया जाता है. खैर,
इस तरह की मिलती-जुलती “सर्जीकल स्ट्राईक” आम जीवन में भी होती रहती है. वर्षों पहले की बात है. किसी समय एक शहर में प्रभात फेरियां खूब निकलती थी. शहर के मध्य एक ईलाके में, आए दिन ही, सुबह होने से पहले प्रभात फेरियां आती थी जिससे वहां के निवासियों की नींद में खलल पडता. उन्होंने प्रभातफेरीवालों को उधर न आने हेतु खूब समझाने की कोशिश की लेकिन सब व्यर्थ रहा.
एक रोज लोगों ने देखा कि गली के नुक्कड पर एक होर्डिंग लगा है. उस पर एक मुर्गें का चित्र दर्शाया गया था. वह बडे कातर स्वर में, चित्र में खडे लोगों से गुहार लगा रहा है कि भाइयों ! यह आदमियों को क्या होगया है जो रोज रोज हमारा व हमारे बच्चों का जिबह-कतल- करता रहता है. हमने उसका क्या बिगाडा है ? इस बात पर वह लोग उसे जवाब देते है कि आप ही तो है जो आए दिन सुबह सुबह बांग देकर हमारी नींद खराब करते हो. शायद यही वजह जो लोग तुमसे नाराज है. जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा. कहते है कि इस घटना के बाद प्रभात फेरीवालों ने अपना रास्ता ही बदल लिया. कसम है जो भूलकर भी उस गली में आएं हो.
ऐसी ही मिलती-जुलती घटना एक शहर के जिलाधीश कार्यालय के बाहर हुई. वहां रोज रोज लोग धरना-भूख हडताल पर बैठ जाया करते थे. पुलीस उन्हें जबरन वहां से हटाती वह फिर बैठ जाते. एक बार बदली होकर नए आये एसपी साहब ने नये तरीकें से “सर्जीकल स्ट्राईक” की. उन्होंने तीन-चार चाट-पकौडों वालों को बुलवाया और ऑफिस के ठीक सामने ही ठेला लगाने को कहा जिसे सुनकर पहले तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि एसपी साहब मन की बात कह कर कही कोई चाल तो नही चल रहे है. कुछ पकौडों वालों ने तो मन में यहां तक समझ लिया कि जबसे देश के बडे साहब ने नाले की गैस से बने पकौडों को बेरोजगारी मिटाने का विकल्प बताया था उस बात का असर हुआ होगा. खैर, बाद में एक पुलीसवाले ने बताया कि एसपी साहब का मानना है कि जब टिक्की-छोलें-पकौडों की महक भूख हडतालियों के तम्बू तक पहुंचेगी तब देखना फिर उन्हें हटाने के लिए किसी जाप्ते-पुलीस फोर्स- की जरूरत नही पडेगी और यही हुआ भी.
सर्जीकल स्ट्राईक की एक घटना बडौदा की है. वहां एक पूजा स्थल के बाहर लोगों ने पेशाब करने का स्थान बना लिया. बार बार मना करने का भी कोई असर नही हुआ. कई तरह के बोर्ड मसलन “यहां पेशाब करना मना है” आदि भी लगाये लेकिन सब फिजूल रहा. इस पर एक अधिकारी ने सुझाव दिया कि इस स्थान से सटी दिवार पर सब धर्मों- हिन्दू, मुस्लिम,सिक्ख, ईसाई- की तस्वीरें लगादी जाय. बस फिर क्या था. यह दांव यानि सर्जीकल स्ट्राईक काम कर गया फिर भूलकर भी पेशाब करने वहां कोई नही आया. सब मान गए, सर्जीकल स्ट्राईक हो तो ऐसी. वैसे भी धार्मिक भावनाओं के आगे किसकी चलती है ?
एक अन्य शहर में कपडों की नई नई दुकान खुली. शुरू शुरू में ग्राहकी कम थी. खाली समय पाकर दुकान मालिक का एक मित्र गप-शप के लिए वहां आकर बैठने लगा. कुछ दिनों बाद ग्राहकी बढने पर दुकान मालिक ने उसे ईशारे से आने के लिए मना किया लेकिन फिर भी वह रोज रोज आजाता क्योंकि उसके पास भी और कोई विकल्प नही था. घर में बैठता तो बीबी से चख चख होती या अपनी बीमारी के बारे में सोचता रहता. तब दुकान मालिक ने सर्जीकल स्ट्राईक का दांव खेला. उसने एक रोज आगंतुक से 500 रू. उधार मांग लिए. आप सच मानिये तब का दिन है और आज का दिन है वह उस दुकान पर नजर नही आया यानि यों कहिये की यह स्ट्राईक भी कामयाब रही.
उसी शहर में एक मशहूर विवाह स्थल है. उसी के पास एक कॉलेज का हॉस्टल भी है. वहां होने वाले विवाह आदि समारोह में हॉस्टल के लडके सूट-बूट – कृपया यहां सूट-बूट का कोई और अर्थ ना लगाएं- पहन कर शामिल हो जाते फलस्वरूप मेजबानों का खान-पान का बजट गडबडा जाता, अकसर मेंहमान भूखे रह जाते. एक बार वहां कोई समारोह रखा गया. इस समस्या से निपटने के लिए मेजबान ने पहले ही अपने मेहमानों को सब कुछ समझा दिया. ऐन वक्त पर मेजबान ने अनाउंस किया कि कृपया बराती, बराती यानि लडके वालें मेरे बांई तरफ होजाय और घराती यानि लडकी वाले मेरे दांई तरफ आजाय ताकि स्वागत किया जा सके. इतना होने पर कुछ लोग बीच में रह गए उन्हें पकड कर पुलीस के हवाले कर दिया गया क्योंकि वह समारोह, शादी न होकर, बच्चें के जंम दिन का था. बताते है कि इस सर्जीकल स्ट्राईक के बाद वहां समारोह में हॉस्टल के लडकों का आना नही के बराबर रह गया यानि कोई घुसपैठ नही हुई.
इस तरह रोजमर्रा की कुछ सर्जीकल स्ट्राईक आपको बतादी है ताकि ताकीद रहे और वक्त-बेवक्त काम आएं.
शिव शंकर गोयल
1201, IIT Engineers society, plot no.12, sect. 10
Dwarka, Delhi 75.

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