मोतीबोर का खेड़ा (भीलवाड़ा)-
घोड़ास हनुमान मंदिर के महंत सरजुदासजी महाराज ने मोती बोर का खेड़ा में स्थित जिले के प्रसिद्व श्रीनवग्रह आश्रम का दौरा कर वहां मरीजों से मुखातिब हुए तथा नवग्रह आश्रम को जिले ही नहीं प्रदेश को गौरव स्थान दिलाने वाला बताया। करीब दो घंटे तक आश्रम के प्रत्येक पौधे के पास पहुंच कर उसके बारे में आश्रम संचालक हंसराज चोधरी से जानकारी प्राप्त की तथा स्वयं के ज्ञान के आधार पर कई औषधीय पौधों के बारे में नई जानकारियों से भी अवगत कराया। महंत सरजुदासजी महाराज घोड़ास के साथ करेड़ा, बद्रीनाथ व जलगांव सहित अन्य कई आश्रमों के महंत भी है तथा लंबा समय हिमालय की गोद में बिताया है इस कारण औषधीय पोधों की उनको भी भरपूर जानकारी है।
महंत सरजुदासजी महाराज ने आश्रम में देश भर से आये मरीजों से मुखातिब होते हुए उनसे सनातन संस्कृति के बारे में कई सवाल करते हुए बताया कि सनातन काल से आयुर्वेद के महत्व को प्रतिपादित किया गया है तथा उस समय भी इसी के माध्यम से सटीक उपचार किया जाता रहा है। आज एलोपथी चिकित्सा पद्वति उसी पर आधारित है। नवग्रह आश्रम में हिमालय का जो लघु स्वरूप तैयार किया गया है निश्चित रूप् से यह यहां के संस्थापक हंसराज चोधरी व उनकी टीम का सकारात्मक सोच का परिणाम है। आश्रम के माध्यम से आज हजारों रोगियों का उपचार किया जा रहा है इसके लिए वो साधुवाद के पात्र है। इनका जनून व जज्बा जो दिख रहा है उससे कहा जा सकता है कि हिमालय की समस्त जड़ी बूटियां यहां पैदा कर आने वाले समय और अधिक रोगियों को यहां से लाभान्वित किया जा सकेगा। उन्होंने नवग्रह आश्रम को देश का सर्वोतम उपचार केंद्र बताते हुए कहा कि वो स्वयं परमात्मा व भगवान धनवन्तरी से प्रार्थना करेगें कि यहां आने वाला हर रोगी उपचार कराने के बाद स्वस्थ्य होकर जाए। उन्होंने आयुर्वेद को बढ़ाने के हंसराज चोधरी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आज ऐसे हंसराज सैकड़ों की तादाद में तैयार करने होगें तभी हम देश व दुनियां में आयुर्वेद को जिंदा रख पायेगें।
आश्रम संचालक हंसराज चोधरी, महिपाल चोधरी व यहां के अन्य सदस्यों ने महंत सरजूदास महाराज का शाॅल ओढ़ा कर सम्मान किया तथा आश्रम का साहित्य भेंट किया। इस मौके पर महंत सरजूदास महाराज के साथ मनीष शर्मा व पुष्पकांत जोशी भी मौजूद रहे।
मूलचन्द पेसवानी