देवनानी ने विधि महाविद्यालय की मान्यता का मामला उठाया विधान सभा में

– प्रक्रिया के नियम 295 के तहत स्थाई मान्यता हेतु सरकार से किया आग्रह
– अजमेर ही नहीं प्रदेश के अधिकांश विधि महाविद्यालयों को नहीं है स्थाई मान्यता
– प्रतिवर्ष अस्थाई मान्यता मिलने में देरी होने से नवम्बर बाद हो पाता है सत्र प्रारम्भ

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर/अजमेर, 18 जुलाई। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने राजस्थान विधान सभा में अजमेर के विधि महाविद्यालय को स्थाई मान्यता नहीं होने से विद्यार्थियों को प्रवेश मिलने में हो रही कठिनाईयों व उनके भविष्य को लेकर बन रहे अनिश्चितता के वातावरण का मामला उठाया।

देवनानी ने विधान सभा की प्रक्रिया के नियम 295 के अन्तर्गत राजकीय विधि महाविद्यालय अजमेर की मान्यता का मामला उठाते हुए कहा कि विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए प्रति वर्ष महाविद्यालय को अस्थाई मान्यता तो दे दी जाती है, परन्तु इस प्रक्रिया में लगभग नवम्बर-दिसम्बर माह तक विद्यार्थियों को प्रवेश मिल पाता है जिससे सत्र विलम्ब से प्रारम्भ हो पाता है तथा शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है।

देवनानी ने सदन में कहा कि गत वर्ष भाजपा सरकार द्वारा महाविद्यालय में शिक्षकों के पदस्थापन किये गये थे तथा वर्तमान में 10 स्वीकृत पदों मंे से 2 ही पद रिक्त है, परन्तु छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों के स्वीकृत पदों की संख्या कम है तथा यहां पर अतिरिक्त पद स्वीकृत किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यहां पर स्थाई प्राचार्य तथा लाईब्रेरियन व शारीरिक शिक्षक के पद भी रिक्त है। महाविद्यालय भवन की बाउण्ड्रीवाॅल, सेमिनार हाॅल आदि का निर्माण व खेल मैदान का विकास नहीं हो रखा है। इन कमियों के चलते बीसीआई के नोम्स पूरे नहीं होने के कारण महाविद्यालय को मान्यता नहीं मिल पा रही है।

देवनानी ने विधान सभा में यह भी कहा कि अजमेर ही नहीं प्रदेश में स्थित 15 राजकीय विधि महाविद्यालयों में से अजमेर सहित 11-12 विधि महाविद्यालयों की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि विद्यार्थियों के हितों व उनके भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए राजकीय विधि महाविद्यालय अजमेर सहित प्रदेश के अन्य महाविद्यालयों को स्थाई मान्यता दिलाने के क्रम में बीसीआई के नोम्स के अनुसार स्टाफ की नियुक्ति व अन्य आवश्यक संसाधनों की पूर्ति कराने के साथ ही वर्तमान सत्र को शीघ्र प्रारम्भ कराये जाने के लिए आवश्यक कदम शीघ्र उठाये जाए।

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