व्यंग्य
दिनांक 11 अक्टूबर 2019 को पूना के एक समाचारपत्र में निम्न टिप्पणी छपी है : –
“गुजरात, जो बीजेपी की राजनीतिक प्रयोगशाला रहा विकास दर में अपनी तेजी के कारण नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते चर्चित रहा है, से आई यह खबर जो देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ व्यवस्था बनाने के मोदी के संकल्प व सपने की जैसे धज्जियां उडा देती है. खबर कहती है कि गुजरात उच्च न्यायालय में 1149 पदों पर भरती शुरू की गई है इनमें चपरासी के भी पद है जिनके लिए पीएचडी और इंजीनियर्स ने भी आवेदन किए है जिनमें इंजीनियर्स आवेदकों की संख्या 5727 है. उनमें से 119 इंजीनियर्स ने परीक्षा पास भी करली है.
अब यह इंजीनियर्स चपरासी का काम करेंगे. आखिर Vibrant Gujrat की कुछ तो पहचान बनी है.
कुछ समय पूर्व इसी बढती बेरोजगारी का हल बताते हुए प्रधान सेवक जी ने एक स्थान पर कहा था कि पढे लिखे बेरोजगार नौजवान चाय-पकौडों का ठेला लगा सकते है. इससे चाय पर चर्चा भी हो जायगी और नौजवान पकौडें बेचकर धंधा भी पा लेंगे. यह वह दौर था जब देश में या तो बैंकों का पैसा लेकर भागने वाले भगौडों मेहुल चौकसी, विकास मोदी की चर्चा होती थी या पकौडों की. देश नोटबंदी की सजा पहले से ही भुगत रहा था.
अब जब से आदरणीय राजनाथसिंह जी ने दशहरे पर फ्रांस जाकर राफेल विमान की नींबू-हरी मिर्च आदि से पूजा की है तब से ही पढे लिखे नौजवानों के लिए रोजगार के नए साधन खुल गए है.
एक मशहूर हिन्दी दैनिक में रायपुर के हवाले से छपी खबर के अनुसार अब टोटकों- हरी मिर्च,नींबू आदि- से भी रोजगार मिलने लगा है. इसमें ज्यादा लागत भी नही है थोडे से नींबू और हरी मिर्च की जरूरत है. इतने से ही लाखों रू. का फायदा. है ना मजेदार बात ? न हींग लगी न फिटकरी और रंग भी चौखा आगया. —
शिव शंकर गोयल