14.आराम तलब जिन्दगी नहीं जिए, कर्मशील बने |अपनी गलतियों को मानने में चूक नहीं करें क्योंकी आदमी को अपनी गलतीयों से जीवन का बड़ा सबक सीखने को मिलता है | दुसरों की गलतियों के लिये उन्हें माफ़ करें,फॉरगिव एन्ड फॉरगेट की निती को अपनायें | जीवन में घटित अवांचित दुर्भाग्यपूर्ण कष्ट पूर्ण घटनाओं को याद नहीं रक्खें उन्हें भूल जाएँ वरन विगत वर्षों की सुखद स्म्रतियों को याद कर मुस्करायें |
15.याद रक्खें कि भावात्मक होकर उत्तेजना में लिये गये निर्णय कम ही सफल होते हैं इसीलिये चितन कर विवेक पूर्ण निर्णय लें |किसी से कोई अपेक्षा नहीं रक्खें और किसी की भी उपेक्षा भी नहीं करें |
डा. जे. के. गर्ग