21. मधुर वाणी बोलें, कटु शब्दों का प्रयोग कभी नहीं करें | किसी पर कभी भी तंज नहीं कसें याद रक्खें द्रोपदी के दुरोय्धन पर कसे तंज और व्यगं ने ही महाभारत के युद्ध को जन्म दिया था |
22. बुरा नहीं बोलें,बुरा नहीं कहें,बुरा नहीं सुने और बुरा नहीं देखें | दूसरों के कार्यों की आलोचना करने की जगह उनके अच्छे कामों की प्रशंसा उनके सामने और उनकी पीठ पीछे करें |
23. जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करें | दूसरों के विचारों का भी सम्मान करें, उन्हें आदर दें | सभी को बिना शर्त स्नेह और प्यार दें |
24 . कोई भी काम को अंजाम देने से पूर्व यह निच्चय कर ले कि आपके काम से किसी का अहित तो नहीं होगा | अगर आप के प्रस्तावित काम से किसी को कष्ट या क्षति हो रही हो तो उस काम को नहीं करें |
25. हर एक व्यक्ति का अभिवादन मुस्करा कर करें | खुद हसें और दूसरों को भी हंसाये | अपने चेहरे को सोम्य बनाये रक्खें |
डा. जे. के. गर्ग