शिवजी की पूजा-अर्चना में बेलपत्र और जल क्यों चढाया जाता है ? पार्ट 1

dr. j k garg
एक गाँव में एक गरीब शिकारी रहता था। शिकारी को कभी कभार ही मुश्किल से शिकार मिलता था इसलिए उस पर महाजन का बहुत सारा कर्ज हो गया । महाजन ने उसे पकड़कर कोठरी में बंद कर दिया और उसे खाने पीने के लिए भी कुछ नहीं दिया । शाम को महाजन ने शिकारी को इस शर्त पर छोड़ा कि जब तक वह कुछ कमा कर नहीं लाता है तब वह अपने घर नहीं जा सकता | ऐसी स्थिति में थका शिकारी अपना धनुष बाण लेकर जंगल में शिकार की खोज में चला आया । जंगल में वो एक तालाब के किनारे एक पेड़ पर चढ़ गया और अपने को जानवरों की नजर से छुपाने के लिए पेड़ की डालियों को काटकर उसकी पत्तियों से खुद को ढँक लिया, वो पेड़ बेल का था और उसके नीचे एक शिवलिंग भी था । डालियाँ तोड़ते समय बेल की कुछ पत्तियां शिवलिंग पर गिर गई। एक तरह शिकारी से अनजाने में ही भोले नाथ की पूजा भी हो गई ।
आधी रात के बाद शिकारी ने तालाब के पास एक हिरणी को देखा, किन्तु हिरणी गर्भवती थी जब हिरणी ने शिकारी को देखा तो वो डर की वजह से कांपने लगी और शिकारी से बोली थोड़ी देर में ही वह बच्चे को जन्म देने जा रही है | हिरणी ने शिकारी से कहा बच्चे को जन्म देने के बाद वह खुद उसके निकट आ जाऊगीं तब आप मेरा शिकार कर लेना | हिरणी की बात सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया ।

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