हमारे शहर अजमेर की साझा विरासत

धार्मिक सौहार्द और सांप्रदायिक सहिष्णुता के लिए विश्व विख्यात है । यहां एक तरफ ब्रह्मा नगरी पुष्कर राज का पवित्र स्थान है, तो दूसरी तरफ ख्वाजा गरीब नवाज की सुप्रसिद्ध दरगाह है । दादा जिनदत्त सुरी जी की जैन दादावाड़ी एवं स्वर्णिम अयोध्या नगरी की संरचना वाला सुप्रसिद्ध जैन मंदिर भी यहीं स्थित है।आचार्य विद्यासागर महाराज का दीक्षा स्थल होने के साथ साथ , समीप ही ज्ञानोदय तीर्थ , नारेली एवं संत नागरी दास की पुण्य धरा किशनगढ भी स्थित है । इस कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु तीर्थयात्री और दर्शन पूजन और पवित्र सरोवर की आरती तथा दुनियां भर से जायरीन प्रतिवर्ष ज़ियारत करने यहां आते रहते हैं, मगर गंगा जमुनी तहजीब वाली यह धर्म की नगरी सदियों से पलक पावड़े बिछा कर सभी – आगंतुकों का तहे दिल से स्वागत करती रही है ।
कभी भी सांप्रदायिकता की आंधी ने यहां की धार्मिक विरासत और सद्भाव को बदनाम नहीं होने दिया ।सभी धर्म भी पूरे जोश और श्रद्धा के साथ अपने-अपने पर्व और त्यौहार मनाते हैं ।सभी सद्भावना पूर्वक एक दूसरे का सम्मान करते हैं ।कई बार जैन पर्यूषण और ईद साथ-साथ मनाई जाती है और- कभी दशहरा और दीपावली साथ-साथ आती है ,मगर कभी भी यहां की शांति में कोई अवरोध पैदा नहीं हुआ । अजमेर में भारतीय जीवन बीमा निगम से सेवानिवृत्त शाखा प्रबंधक बी एल सामरा के पास
साम्प्रदायिक सदभावना और सहिष्णुता के प्रतीक हमारे धार्मिक ग्रंथों का विपुल संग्रह
विद्यमान है ,जिसमें हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैन बौद्ध पारसी सभी मतावलंम्बी समुदाय के धार्मिक ग्रन्थ इनके संग्रह में सुरक्षित है । कई प्रकार की बाईबल ,कुरान शरीफ, महाभारत ,गीता ,रामायण, जैन आगम ,गरुग्रन्थ सुखमणि साहब इत्यादि उपलब्ध है । हस्त लिखित पाण्डुलिपियो तथा रियासत कालीन दस्तावेजों के अलावा हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैन बौद्ध पारसी सभी समुदाय के प्राचीन धर्म ग्रंथ मौजूद है , जिसमें सवा सौ वर्ष पूर्व प्रकाशित कई तरह की बाईबल एवं क्रिसमस कार्ड तथा नव वर्ष से सम्बंधित शुभकामना वाले ग्रिटींग कार्ड का संग्रह मौजूद है जिसने यहाँ के विभिन्न वर्गों एवं समुदायों में साम्प्रदायिक सौहार्द तथा अजमेर की तहजीब और शान -शौकत में चार चांद लगाए हैं । सहिष्णुता की यह महक यहां की पहचान है । अजमेर शहर के मध्य अवस्थित आना सागर झील 13 किमी के क्षेत्र में फैली है, यह एक कृत्रिम झील है जो वीर शिरोमणि पृथ्वी राज चौहान के पितामह आनाजी चौहान द्वारा निर्मित की गई थी। झील के किनारे दौलत बाग उद्यान संगमरमर की बारादरी जहाँगीर द्वारा बनायी गयी । झील में एक द्वीप है और सुंदर बगीचे और यह संगमरमर के मंडपों से घिरा हुआ है। द्वीप तक पहुँचने के लिए पर्यटकों हेतु दौलत बाग उद्यान के पूर्वी हिस्से से नाव एवं जल स्कूटर उपलब्ध हैं ।झील की सुन्दरता को बढाने के लिए मुगलों द्वाराअतिरिक्त निर्माण भी किये गये थे। सर्किट हाउस, जो अंग्रेज़ों का निवास स्थान था, झील के पास एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है।
*शहर की शान ऐतिहासिक आनासागर झील पर इन दिनों अतिक्रमियों की गिद्धदृष्टि जमी हुई है। झील में कब्जा करने, मलबा डालने पर प्रशासन की ओर से पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाए जाने के निर्देश कई बार जारी हो चुके हैं लेकिन अतिक्रमी कानून की परवाह भी नहीं कर रहे हैं। गौरवपथ के पास जी मॉल के पीछे बड़े पैमाने पर झील में कचरा तथा बिल्डिंग वेस्ट मैटेरियल डाला जा रहा है। इसके अलावा झील के किनारे ही कब्जा कर झुग्गियां बना ली गई हैं। इनमें मूर्तियों का निर्माण किया जाता है। पूर्व में यह मूर्ति बनाने वाले गौरवपथ पर खातेदारी भूमि पर काबिज थे। इसके अलावा सैकड़ों ट्रॉली मलबा झील में डाला जा चुका है जिसे पिछले माह नगर निगम ने जेसीबी व डम्पर के जरिए निकाला था। इसके बावजूद झील में मलबा डाला जा रहा है। झील की सीमा तय करते हुए नगर निगम ने इसके किनारे मुटाम भी लगाए हैं लेकिन इसके बावजूद मलबा डालकर अतिक्रमण किया जा रहा है। शहर में दिन में संचालन पर रोक के बाजवूद टै्रक्टर चालक ट्रैक्टर के आगे फर्जी तरीके से नगर निगम लिखकर मलबा व कचरा लाकर झील में डाल रहे है। एक ओर हमारे शहर को स्मार्ट सिटी घोषित किया गया है और यह नगर अपने प्राचीन पुरा वैभव तथा धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए हेरिटेज सिटी के नाम से भी अपनी एक विशिष्ठ पहचान रखता है मगर शहर में फैले अतिक्रमण और आनासागर झील के किनारे किनारे मलवे तथा गंदगी के ढेर इस शहर की सुन्दरता पर ग्रहण लगा कर बदनुमा दाग साबित हो रहे हैं । देशभर में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के उपलक्ष में स्वच्छ भारत अभियान भी चलाया जा रहा है मगर प्रशासन की नाक के नीचे सुन्दर झील का सौन्दर्य बिगाड़ने के खेल को बेखोफ अंजाम दिया जा रहा है ,उसकी तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है यह चिन्ताजनक है । आगामी कुछ ही दिन पश्चात विश्व विरासत दिवस भी है । और स्मार्ट सिटी के हम सभी नागरिकों की भी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने शहर को साफ ,स्वच्छ और सुन्दर बनाने में अपना हरसंभव योगदान करें ।

*आलेख*
*बी एल सामरा नीलम*
पूर्व प्रबन्ध सम्पादक कल्पतरू हिन्दी साप्ताहिक एवं मगरे की आवाज पाक्षिक पत्र
*सम्पर्क सूत्र मोबाइल 9414194108*

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