व्यक्ति के जीवन में गुरू का बहुत बड़ा योगदान: देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 5 सितम्बर। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में गुरू का बहुत बड़ा योगदान होता है। शिक्षक ही विद्यार्थी को सही व गलत का अंतर समझाकर उसके चरित्र का निर्माण करता है। वह बालक को अंधकार से प्रकाश का मार्ग दिखाता है तथा उसके व्यक्तित्व का निर्माण करते हुए उसमें मौलिक सोच की शक्ति विकसित करता है।
देवनानी शनिवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर फेसबुक लाईव के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षक दिवस के अवसर पर भारतरत्न, महान शिक्षाविद व भारत के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए समस्त शिक्षकवर्ग को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी तथा राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए उनका अभिनन्दन किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने अपने मूल शिक्षण कार्य से हटकर कोरोना वारियर्स के रूप में जो सेवाएं दी है वह निश्चित ही अत्यन्त प्रशंसनीय है। वैश्विक महामारी के समय शिक्षकों ने सर्वे, क्वारंटीन सेंटर पर निगरानी, रेलवे स्टेशन पर प्रवासियों का विवरण, राशन वितरण सहित कई जिम्मैदारियों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया है।
उन्होंने कहा कि वे स्वंय भी एक शिक्षक रहे है तथा दो बार शिक्षा मंत्री का दायित्व सम्भाला है एसे में वे स्वंय को शिक्षकवर्ग के परिवार का सदस्य ही समझते है। उन्होंने कहा कि शिक्षक आज ही नहीं आदिकाल से समाज का मार्गदर्शन करता रहा है। माता-पिता तो जन्म देते है परन्तु गुरू का महत्व उनसे भी अधिक होता है। वह शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति को गढ़ता है। शिक्षक बालक को शिक्षा के साथ संस्कार व हमारी संस्कृति का बोध भी कराता है जिससे उनकी भूमिका राष्ट्र निर्माण के कार्य में भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
देवनानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री के नाते उन्हें भी शिक्षकवर्ग के बीच कार्य करने का मौका मिला। सबके सहयोग, समर्पण व लगनपूर्वक किये गये प्रयासों से नामांकन, परीक्षा परिणाम व गुणवत्ता में अभूतपूर्व वृद्धि हो पाई जिसके फलस्वरूप राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में 26वें से दूसरें पायदान पर आया। हमने विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए उनके चारित्रिक विकास हेतु 200 से अधिक महापुरूषों व प्रेरक व्यक्तियों के चरित्र पाठ्यक्रम में जोड़े। शिक्षकवर्ग को एक लाख से अधिक पदौन्नतियां व 1.50 से अधिक नई नियुक्तियां प्रदान की जो आज तक दी जा रही है। स्वामी विवेकानन्द माॅडल स्कूल प्रारम्भ किये। शिक्षकों के पदस्थापन हेतु काउन्सलिंग की पारदर्शी प्रक्रिया लागू की। इस प्रकार के उल्लेखनीय कार्य जो कि शिक्षकवर्ग के सहयोग, त्याग व प्रयासों से ही संभव हो पाए उनसे आज भी मन को संतोष मिलता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी देश व समाज की नींव कही जाती है। वर्तमान शिक्षा पद्धति आज 21वीं शताब्दी में जो हमारे सामने चुनौतियां है उनका सामना करने में सक्षम नहीं है। नये आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के साथ ही सुदृढ़, विकसित, ऊर्जावान भारत के लिए नई शिक्षा नीति बनाई गई है जिसमें भारतीय संस्कृति, संस्कार, परम्पराओं के अतिरिक्त आधुनिकता का समन्वय किया गया है। नई शिक्षा नीति में इस बात पर जोर दिया गया है कि विद्यार्थी में क्या सोचे के स्थान पर कैसे सोचे की समझ विकसित हो। उन्होंने शिक्षकवर्ग से अपील करी कि वे नई शिक्षा नीति का गहराई से अध्ययन करे व उसे समझे तथा इसकी आमजन को जानकारी भी दे। उन्होंने शिक्षकों से नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के सम्बंध में सुझाव देने का आग्रह भी किया।

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