अजमेर/कविता में दर्द, श्रंगार, रास होना आवश्यक है और डॉ. देवल की कविताओं मंे संस्कार व प्रभाव के साथ मुखरित हुए हैं। इनकी कविताओं में राजस्थानी संस्कृति और जनजीवन की समस्याएं संवेदनशीलता से उभरती हैं तथा ठेठ राजस्थानी भाषा की शब्दावली भी प्रभावित करती है। ये विचार प्रख्यात गीतकार डॉ. हरीश ने कला व साहित्य के प्रति समर्पित संस्था ‘नाट्यवृंद’ एवं ‘प्रबुद्ध मंच‘ के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को श्रमजीवी महाविद्यालय में आयोजित राजस्थानी व हिन्दी के कवि, अनुवादक, संपादक पद्मश्री डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल पर केन्द्रित ‘‘एकल काव्य-पाठ‘‘ गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजस्व मंडल के निबंधक हेमन्त शेष ने कहा कि जो कवि जीवन, मृत्यु, प्रेम और विश्वसंदर्भ में देखता है वह सार्थक व श्रेष्ठ कविता रचना कर सकता है। इस दृष्टि से डॉ. देवल की कविताएं यथार्थ के निकट तथा दार्शनिक चिन्तन, गंभीर विषय, प्रतीक और बिम्बों का सटीक प्रयोग करने वाली हैं।
प्रारंभ में गांेष्ठी का संचालन कर रहे संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने बताया कि डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल ने हाल ही में महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण के महाकाव्य ‘वंश भास्कर‘ के नौ खण्डों में अनुवाद का दुरूह कार्य किया है, जिससे इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा मिली है। डॉ. अनन्त भटनागर ने देवल के रचना शिल्प पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देवल की कविताएं सांस्कृतिक विरासत पार चिन्तन और युगबोध कराने वाली हैं।
इस साहित्यिक आयोजन में डॉ. देवल द्वारा उनकी राजस्थानी व हिन्दी की चयनित कविताओं का पाठ किया गया। उन्होंने ‘मत भंींच रगां ने इतरो‘, ‘तोप रो बीह‘,‘अपनी चीख को सहेज कर रख, सताये हुए लोगों की भाषा है‘श् ‘सपनों में सपना पकड़ रहा हूँ‘, ‘कवि को देवता नहीं आदमी चाहिये‘,‘दुःख मेरी ओर देख रहा है‘ और ‘खोजने निकला हूँ मिलन का दिन‘ आदि हृदयस्पर्शी कविताएं सुनाई, जिनसे श्रोता भावविभोर हो गये। गोष्ठी में पूर्व रक्षा सचित अजय विक्रम सिंह, शिक्षा बोर्ड निदेशक जी.के.माथुर, डॉ. बृजंेश माथुर, बख्शीश सिंह, डॉ. कमला गोकलानी, डॉ.बद्रीप्रसाद पंचोली, प्रो.सुरेन्द्र भटनागर, गोविन्द भारद्वाज, पूर्व उपसभापति सोमरत्न आर्य, जाग्रति फाउण्डेशन के अनिल त्रिपाठी, देवेन्द्र मिश्र, श्याम माथुर, गोपाल माथुर, जगदीश नागर, कर्मराज वर्मा, शशि शर्मा, रेखा जैन आदि सुधिजन उपस्थित थे।
अभिनन्दन- इस अवसर पर हाल ही में राजस्थानी भाषा अकादमी द्वारा गणेशलाल व्यास उस्ताद काव्य पुरस्कार के लिए चयनित साहित्यकार डॉ. विनोद सोमानी ‘हंस‘ तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी में मनोनीत हुए सदस्य डॉ. मोक्षराज का अतिथियों द्वारा अजमेर के साहित्यवृंद की ओर से अभिनन्दन किया गया।
-उमेश कुमार चौरसिया
संयोजक
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