होली औ ‘ सब-ए-बारात ,
आए हैं कुछ कहने साथ ।
करें आज मिलकर सत्कार ,
इससे बढ़कर क्या उपहार ?
सबसे बड़ा धर्म है देश ,
सबसे बड़ा पर्व भी देश ।
प्रेम-भाव औ ‘ बाँटे प्यार ,
इससे बढ़कर क्या उपहार ?
सबके अपने-अपने ढंग ,
एक लहू है , एक ही रंग ।
तोड़े भीतर की दीवार ,
इससे बढ़कर क्या उपहार ?
जन-जन तक जाए संदेश ,
एक हमारा भारत देश ।
सारा भारत घर-परिवार ,
इससे बढ़कर क्या उपहार ?
सारा जग है अपना मीत ,
निभा रहे सदियों से प्रीत ।
इस धरती के ये संस्कार ,
इससे बढ़कर क्या उपहार ?
*नटवर पारीक*, डीडवाना