चौधरी अजित सिंह का निधन किसान कौम के लिये बड़ी क्षति है -विजय पाल राव

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित सिंह के निधन पर जाट युंवा विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट विजय पाल राव काहा कि मैं देश की महान शख़्सियत और किसानों के हमदर्द स्वर्गीय चौधरी अजितसिंह को सादर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ…..
जाट युंवा विंग के अध्यक्ष विजय पाल राव ने काहा कि दिवंगत चौधरी अजीत सिंह जी के निधन से देश और किसान समाज को भारी क्षति हुई है, जिसकी क्षतिपूर्ति कर पाना हम सब के लिए असम्भव है। उनके निधन से हम सबने एक किसान, मजदूर, देशसेवक व महान नेता खो दिया है, जो हमेशा किसान, मजदूर व ग़रीब वर्ग की लड़ाई लड़ते रहे। मैं परमपिता परमात्मा से अपनी ओर से उनकी पुण्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ और देशवासियों एवं उनके परिवार को यह असहनीय पीड़ा सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
जाट युंवा विंग के अध्यक्ष विजय पाल राव ने बताया कि यह देश मे एकमात्र नेता थे जो जाट आरक्षण के लिए अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगाया था छोटे चौधरी अजित सिंह ने
विजय पाल राव ने काहा कि आज बड़े भारी मन से बोलना पड़ रहा है कि किसान मसीहा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के पुत्र रालोद सुप्रीमो चौधरी अजीत सिंह यानि छोटे चौधरी आज हमारे बीच नही रहे उनका कोरोना संक्रमण के चलते गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें लगातार पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके चाहने वाले छोटे चौधरी के लिए प्रदेश ही नहीं अपितु देश के कई हिस्सों से भी प्रार्थनाएं और उनकी सलामती के लिए लगातार दुआएं कर रहे थे, परन्तु शायद ऊपर वाला उनको अपने पास बुलाने पर आमादा था।
उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के किसानों के चहेते नेता 82 वर्षीय चौधरी अजीत सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को उत्तर प्रदेश के जिले मेरठ के गांव ग्राम भड़ोला में हुआ था। उन्होंने स्नातक, बीटेक और स्नातकोत्तर उपाधि नामी संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय, आईआईटी खड़गपुर और प्रौद्योगिकी के इलिनोइस संस्थान, शिकागो से प्राप्त की। उन्हें कृषि और आधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेष रुचि थी। उन्होंने अमेरिका में लगभग 17 वर्षों तक अमेरिकी कम्प्यूटर इंडस्ट्री में कार्य किया और 1980 में चौधरी चरण सिंह के प्रशसकों और उनके अनुयायियों के आग्रह पर उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए राजनीति में आ गये थे।

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हालांकि उनके पिता चौधरी चरण सिंह नहीं चाहते थे कि अजीत सिंह राजनीतिक दलदल में ना फंसे लेकिन बड़े चौधरी के अनुयायियों के अनुरोध पर उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल नाम से एक पार्टी बनाई और उसके अध्यक्ष बने। इसी पार्टी के बैनर तले उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी खेलनी शुरू की, उन्हें पहली बार साल 1989 में वीपी सिंह की सरकार की कैबिनेट में उद्योग मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। साल 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया।
साल 2004 में वे बागपत से पांचवें कार्यकाल के लिए 14वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। इस साल उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को दो लाख बीस हज़ार से अधिक मतों के भारी अंतर से हराया। साल 2009 में उन्हें लोकसभा में संसदीय दल का नेता चुना गया। साल 2009 बागपत से छठा कार्यकाल पूरा करने के लिए उन्हें 15वीं लोकसभा के लिए फिर से चुना गया। साल 2011 में उन्हें मनमोहन सरकार में केंद्रीय कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया।

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