शिवकृपा दिलाने वाले व्रत की संपूर्ण विधि

पुत्र की कामना के लिए
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यदि आपको पुत्र प्राप्ति की कामना हो तो आपको भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा दिलाने वाला प्रदोष व्रत शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को उस दिन शुरु करना चाहिए जिस दिन शनिवार पड़े।
रोग से मुक्ति पाने के लिए
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यदि आप किसी बीमारी से से लंबे समय से जूझ रहे हों और उससे पूरी तरह से मुक्त होने की कामना रखते हैं तो भगवान शिव से जुड़ा प्रदोष व्रत उस त्रयोदशी को शुरु करें जो रविवार के दिन पड़ रही हो।
सुख–समृद्धि और सुयोग्य जीवनसाथी के लिए
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यदि आपको अपने जीवन में सुख–समृद्धि के साथ एक सुंदर, सुयोग्य जीवनसाथी की कामना है तो आपको यह प्रदोष व्रत तब शुरु करना चाहिए जब यह किसी महीने के शुक्रवार को पड़े.
आर्थिक कष्ट और कर्ज दूर करने के लिए
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यदि बहुत प्रयासों के बाद भी आप कर्ज को खत्म नहीं कर पा रहे हैं और माता लक्ष्मी आपसे रूठ गई हों तो आपको यह प्रदोष तब शुरु करना चाहिए, जब यह किसी सोमवार को पड़े।
प्रदोष व्रत विधि
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प्रदोष व्रत वाले दिन स्नान–ध्यान करने के बाद ‘मम पुत्रादि प्राप्ति कामनया प्रदोष व्रत महं करिष्ये‘ बोलते हुए अपने हाथ में कुछ धन, पुष्प, आदि रखकर भगवान शिव के नाम का संकल्प करें. इसके बाद सूर्यास्त के समय एक बार फिर स्नान करके भगवान शिव की पूजा के लिए बैठें और उनका षोडशोपचार तरीके से पूजन करें और भक्ति भाव के साथ प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। शिव पूजा के दौरान ”ॐ नम: शिवाय” मंत्र का कम से कम एक माला जप जरूर करें।पूजा के पश्चात् भगवान का प्रसाद सभी में वितरित करें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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