शुरू किए गए नवाचार एवं आयोजित हुई गतिविधियाॅ
यह अनुभव स्मृति में सदा अक्षुण्ण रहेगा मैं संतुष्ट, प्रसन्न व गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँः- डाॅ.राठौड़
28, जनवरी। राजस्थान लोक सेवा आयोग में 30 जनवरी, 2016 को मैने प्रथम बार प्रवेश किया तथा सदस्य के रूप में कार्यग्रहण किया। आयोग में आने से पूर्व आयोग के बारे में बहुत सुना था। कार्यग्रहण के साथ ही एक सदस्य के रूप में मैने स्वयं से यह वादा किया था कि आयोग कार्यप्रणाली के संवर्धन में पूर्ण योगदान दूंगा। अभ्यर्थियों के मन में विश्वसनीयता का भाव उत्पन्न करने का प्रयास करूंगा। आयोग की विशिष्ट पहचान सम्पूर्ण देश में स्थापित करने का प्रयत्न पूर्ण निष्ठा से करूंगा। यह उद्गार आयोग अध्यक्ष डाॅ. शिव सिंह राठौड द्वारा शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए व्यक्त किए गए।
आयोग द्वारा गत 2 माह में किए गए नवाचारों व विभिन्न आयोजनों की जानकारी के लिए प्रेंस कांफेंस का आयोजन किया गया था। इस दौरान डाॅ. राठौड़ ने कहा कि अब जब मेरे 6 वर्ष के कार्यकाल का सफर पूर्ण होने की और है तब मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष है कि आयोग के माननीय सदस्यगणों, अधिकारी व कर्मचारियों के सहयोग से आयोग द्वारा भारतवर्ष में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की जा चुकी है। आयोग में कार्य का यह अनुभव मेरी स्मृति में सदा अक्षुण्ण रहेगा, मैं संतुष्ट, प्रसन्न व गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
डाॅ. राठौड ने बताया कि अध्यक्ष पद के दायित्व निर्वहन के दौरान उनके द्वारा वर्ष 2022 में आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रस्तावित भर्ती परीक्षाओं का एक कैलेंडर घोषित किया गया है और इसे 73 वें स्थापना दिवस, 22 दिसंबर 2021 को आरपीएससी की वेबसाइट पर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा लाॅन्च किया गया। कैलेंडर में 76 आगामी परीक्षाएं शामिल हैं जिनमें राजस्थान राज्य और अधीनस्थ सेवा संयुक्त मुख्य परीक्षा, सहायक प्रोफेसर-चिकित्सा शिक्षा विभाग, रसायनज्ञ, एएसओ आदि शामिल हैं। इसी प्रकार स्थापना दिवस, स्टैंडिंग कमेटी बैठक आदि विभिन्न आयोजन गत दो माह के दौरान किए गए।
वन टाइम रजिस्ट्रेशन बडी उपलब्धि
डाॅ. राठौड ने बताया कि आयोग द्वारा बहुप्रतिक्षित वन टाइम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का शुभारंभ किया गया। अक्सर देखने में आता है कि आवेदनों में नाम की वर्तनी, पिता का नाम, गृह जिला आदि जैसी जानकारियों की प्रविष्टि के समय गलती रह जाती है। इसके कारण अभ्यर्थियों को व आयोग को भी काफी परेशानियों का सामना करना पडता है। कई बार अभ्यर्थियों द्वारा गलती सुधारनें के लिए पुनः आवेदन तक कर दिया जाता है। ऐसे में आयोग को एक ही व्यक्ति के 2 व अधिक आवेदन भी प्राप्त होते हैं। इन आवेदनों में से एक आवेदन को मान्यता देना व दूसरे को खारिज करना पडता है। आयोग द्वारा दिए गए संशोधन के अवसर पर भी अभ्यर्थियों का अमूल्य श्रम व धन व्यय होता है। इन सबसे भर्ती प्रक्रिया में भी विलंब होता है साथ ही अभ्यर्थियों द्वारा की गई त्रुटि वादकरण का कारण भी बनती है। अभ्यर्थियों की इस समस्या पर आयोग द्वारा काफी समय से गहन अनुसंधान के बाद प्रकिया विकसित करने का कार्य किया जा रहा था। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आयोग के नवाचारों की श्रंखला में आॅन स्क्रींन मार्किंग की भांति यह प्रक्रिया भी मील का पत्थर सिद्ध होगी।