नव रात्रों की वजह से नौ के अंक का भी महत्व बढ गया है. नौ का अंक Single Digit की सबसे बडी संख्या है. गणित में नौ के अंक की यात्रा काफी दिलचस्प होती है. इसकी गुणा की टेबल देखिए (1×9=9, 2×9=18, 3×9=27……….10×9=90 ) एक से नौ तक गुणा करने पर गुणन फल में जो अंक प्राप्त होते है उनका जोड भी नौ ही होता है. इसी तरह एक से सौ तक की गिनती में नौ का अंक बीस बार आता है. आदि. नौ को लेकर हिन्दी भाषा मे कई मुहावरें (नौ-दो ग्यारह होना, नौ नगद न तेरह उधार, न नौ मण तेल होगा न राधा नाचेगी आदि) है. शादी-विवाह, त्यौहार, उत्सव पर नौपत(वाध्द यंत्र) बजाई जाती है.
रामचरित मानस के अरण्य कांड में, वनवास के दौरान, मृदंग ऋषि के आश्रम में, भगवान राम भीलनी शबरी को नवधा भक्ति (नौ तरह की भक्ति)के बारें में बताते है “नवधा भक्ति कहू तोहि पाही, सावधान सुनु धरू मन माहि. सोई अतिसय प्रिय भामिनि मोरे, सकल प्रकार भगति दृढ तोरे” और फिर एक एक करके नौ प्रकार की भक्ति की व्याख्या करते है (1.संतों का साथ, 2.ईश-कथा, 3.गुरू की सेवा, 4.कपट छोड प्रभुगान, 5.मंत्र-जाप, 6.प्रभु स्मरण करते हुए अध्यात्म की ओर बढना, 7.जगत को सम भाव से देखना, 8.संतोष रखना,परदोष नही देखना, 9.सरल भाव रखना, छलहीन होना).
गीता में साहित्य के नौ तरह के रस बताये गए है. क्रमश: वह है :- हास्य, करूण, वात्सल्य, श्रंगार, वीर, रौद्र, शांत, वीभत्स और माधुर्य).
सौरमंडल में नौ ग्रह है (सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु) जो अपनी अपनी कक्षा में चक्कर लगाते रहते है.
हनुमान चालीसा में हनुमानजी की स्तुति करते हुए गोस्वामीजी पवन पुत्र को कहते है आप, अष्ट सिध्दि (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य इशित्व और वशित्व) तथा नव निधि के दाता है. वह नौ निधियां कुबेर के रत्न है और क्रमश इस प्रकार से है पदम, महापदम, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, क्रुंद, नील और वर्च्य. कुछ विद्वान नव निधियों के आध्यात्मिक अर्थ क्रमश: श्रवण,कीर्तन,स्मरण,पादसेवनमअर्चन, वंदनम, दास्यम, सख्यम और आत्म निवेदन भी करते है.
हर मनुष्य की नौ चीजें निजि होती है जो किसी अन्य से मेल नही खाती. वह क्रमश : इस प्रकार से है प्रारब्ध, वाणी, स्वभाव, आकृति, बोली, विचार, लिखावट, पगडी और डीएनए.
शरीर के नौ द्वार है. वह क्रमश: इस प्रकार है दो आंखें, दो कान, नाक के दो छिद्र, मुंह, गुदा और शिश्न. प्रसिध्द भजन “म्हानै अबकै बचालै म्हारी मां, बटउडो आयो लेबानै” में इसका जिक्र आता है “…..आठ कोठडी नौ दरवाजा लुकी मायनै जाय…….”
व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने में नव-रत्न चटनी का विशेष योगदान रहता है इसमें भी नौ अवयव होते है. वह क्रमश: इस प्रकार है कच्चा आम, गुड, छुहारें, बादाम, पिस्ता, किशमिश, सौंठ, लाल मिर्च और नमक.