(भ्रष्टाचार पर व्यंग्यात्मक ब्लाॅग)
-जैसे देश की नामी हस्तियों को पद्मश्री, पद्म विभूषण, भारत रत्न पुररस्कार दिए जाते हैं, वैसे ही भ्रष्टाचार में महारत हासिल करने वालों को भ्रष्टाचारीश्री, भ्रष्टाचारी विभूषण और भ्रष्टाचारी रत्न से नवाजा जाना चाहिए
✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉बात कड़वी जरूर है, लेकिन एकदम खरी-खरी है। कड़वी बात हो या दवाई, हर किसी को कड़वी लगती है, अखरती है। लेकिन कहते हैं कि दवाई अक्सर कड़वी ही होती है और रोगी को जल्दी स्वस्थ करती है। इसी प्रकार कड़वी बात भी यदि गले उतर जाए, तो जीवन बदल देती है। विभिन्न क्षेत्रों में महारत हासिल करने वाली देश की नामी हस्तियों को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, पद्म विभूषण, भारत रत्न पुररस्कार से नवाजा जाता है। यह तीनों ही पुरस्कार अति सम्मानजनक और उच्च कोटि के हैं। इनमें से भारत रत्न तो उन्हीं को दिया जाता है, जिन्होंने खुद को केवल देश के लिए जिया हो। इन तीनों ही पुरस्कारों की तुलना अन्य पुरस्कारों से करना सरासर बेमानी है। इसी प्रकार बहादुरी के लिए वीरता पुरस्कार भी दिए जाते हैं। किंतु देश में तमाम प्रयासों और आए दिन भ्रष्टाचारियों की नाक में नकेल डालने के बावजूद भ्रष्टाचारियों की “बहादुरी” “साहस” और “वीरता” गजब की है। भ्रष्टाचार खत्म होने की बजाय अमरबेल की तरह दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। नए-नए भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर और कमीशनखोर पैदा हो जा रहे हैं। इसे देखते हुए लगता है कि अब सरकारों को इनकी वीरता, बहादुरी, साहस, हिम्मत और पूरी तरह चुनौती के साथ यह सब काम करने वालों का भी मान रखना चाहिए। यह लोग ना केवल बड़ी हिम्मत और जिगर के साथ ऐसे काम करते हैं, बल्कि रिश्वत व कमीशन नहीं देने वालों को सीधे चुनौती भी देते हैं। वाकई में ऐसे लोगों के जिगर की दाद देनी पड़ेगी। भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर और कमीशनखोर हर प्रदेश में मिल जाते हैं। सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्यों की, कमोबेश हर विभागों और समाज में इनकी संख्या बहुतायत में पाई जाती है। इनका कुनबा बढ़ता ही जा रहा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आदि एजेंसियां आए दिन विभिन्न प्रदेशों में भ्रष्टाचारियों की धरपकड़ करती हैं। उससे देखते हुए ऐसा लगता है कि ऐसे लोगों की खरपतवार कुछ ज्यादा ही पनप गई है। अब भाइयों, जब बेचारे भ्रष्टाचारी पूरी हिम्मत, हौंसले और जिगर के साथ अपना पेट भरने के साथ-साथ पेटे, अलमारी, तिजौरी, कोठे, गोदाम भरने और मरने पर अपने साथ ऊपर इतना सारी माया ले जाने के लिए इतने सारे जतन करते हैं, तो उनके लिए पुरस्कार भी बनता है, ताकि उनके “रवैये, व्यवहार और काम” की “कद्र” हो सके। पता नहीं, सभी लोग इन बेचारों को इतनी घृणा की नजर से क्यों देखते हैं। केंद्र और राज्य की सरकारें चाहें, तो प्रारंभ में ऐसे पुरस्कार नगर, ब्लाॅक, जिला, राज्य स्तर पर शुरू कर सकती हैं। जिस तरह 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस और 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर उपखंड, जिला और राज्य स्तर पर सम्मानित होने वाली सूचियां बनती हैं, उसी प्रकार भ्रष्टाचारियों की भी सूची बनवाकर सम्मानित किया जाना चाहिए।