आज दिनांक 23 सितम्बर 2022- विश्व विख्यात श्री सिद्वकूट चौत्यालय सोनीजी की नसियाँ अजमेर में सोनी परिवार के पूर्वजो द्वारा स्थापित जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर प्रभु श्री ऋषभदेव स्वामी के 3 कल्याणक की स्वर्णमयी रचना नयनाभिराम है जिसमे स्वर्णमयी अयोध्या नगरी की रचना में पूज्य आचार्य श्री जिनसेन स्वामी के आदिपुराण ग्रन्थ के वर्णानानुरुप प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव स्वामी के 3 कल्याणक को दर्शाया, स्वर्णमयी कलाकृति व जीवंत लगने वाली रचना को वर्तमान मे भी देश- विदेश के पर्यटक देखकर मोहित हो जाते है। वर्तमान मे समाज रत्न सरसेठ श्री भागचंदजी सोनी के पुत्र-पौत्र धर्मनिष्ठ सेठ निर्मलचंद सोनी, सेठ सुशीलचंद सोनी एवं प्रमोदचंद सोनी, विनम्र सोनी द्वारा सोनीजी की नसियाँ का प्रबंधन व कुशल संचालन कर रहे है।
यह जानकारी देते हुए प्रबंध संचालक प्रमोद सोनी ने बताया की सात पीढी़ लगभग 130 वर्षाे से सहज कर रखी जैन संस्कृति की धरोहर को आमजन हेतु प्रदर्शित करने का बीडा़ उठाते हुए तीर्थंकर प्रभु श्री ऋषभदेव स्वामी के स्वर्णमयी 2 कल्याणक को भी आमजन हेतु प्रदर्शित करने की योजना बनाकर कार्य प्रारंभ कर दिया है, पूर्व मे 5 कल्याणक मे से मात्र 3 कल्याणक को ही प्रदर्शित किया गया था।
मुख्य ट्रस्टी निर्मलचंद सोनी ने बताया की 2 कल्याणक मे मुख्यतः मुनि श्री ऋषभकुमार की छः माह पश्चात हस्तिनापुर नगरी मे राजा श्रेंयास द्वारा प्रथम आहारचर्या, श्री ऋषभदेव स्वामी को केवलज्ञान प्राप्त होने के बाद कुबेर इन्द्र द्वारा स्वर्णमयी समवशरण की रचना व प्रभु के विहार होने पर 225 स्वर्ण कमलों की रचना साथ ही श्री ऋषभदेव स्वामी की निर्वाण स्थली श्री कैलाश पर्वत, भरत चक्रवर्ती द्वारा 72 स्वर्णमयी जिनालयो की रचना इसके अतिरिक्त श्री जिनेंद्र शोभायात्रा मे अपनी छटा बिखेरता करीब 125-150 वर्ष पुराने शुद्ध स्वर्ण (सोना) हस्त नक्काशी युक्त ऐरावत हाथी, अश्व रथ, गजरथ, बैलरथ आदि अन्य विभिन्न अद्वितीय अनुपम व अनमोल कलाकृति के प्रदर्शन का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है, साथ-साथ स्वर्ण चित्रकारी, झाड़-फानूस व रोशनी से साज-सज्जा का कार्य पर किया जा रहा है। जिस स्थान पर अनुपम व अनमोल कलाकृति का प्रदर्शन किया जाये वह विशाल हॉल की सम्पूर्ण दीवारों पर करीब 150 वर्ष पुरानी प्राकृतिक व बहुमूल्य रंगों से पेंटिग की हुई है जिसमें स्वर्ग के इन्द्र भिन्न-भिन्न वाद्य यंत्र बजाते हुए दर्शाये गये है जो आज भी जीवंत लगती है मानो आज ही चित्रकार ने संतरंगी रंगों से अपनी कला उकेरी हो।
दिगम्बराचार्यों व निर्ग्रन्थ मुनिराजों के शुभाशीष से आगामी दिनों में भारत के जैन-अजैन धर्मावलम्बी भारत की स्थापत्य कला व जैन धर्म के वैभव, संस्कृति व प्राचीनता का निकटता से दर्शन कर सकेगे।
दिगम्बर जैन महासंघ अजमेर के प्रवक्ता लोकेश जैन ने बताया की अजमेर नगर में चातुर्मास कर रहे दिगम्बर जैन मुनि श्री संबुद्धसागर एवं मुनि श्री संविज्ञसागरजी महाराज ने सोनीजी की नसियाँ में चल रहे निर्माण व प्रदर्शन हेतु रखी स्वर्णमयी रचनाओं का अवलोकन किया व दिशा-निर्देश देते हुए किए जा रहे कार्य की प्रशंसा व शुभाशीष प्रदान किया।
मुनि श्री संघ के साथ महासंघ के अध्यक्ष प्रमोदचंद सोनी, महामंत्री प्रकाश पाटनी, मुनिसंघ सेवा समिति के अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल, सोनी नसियाँ के ट्रस्टी विनम्र सोनी व समाज के अमित वैद, रिपेन्द्र कासलीवाल, पदम सोगानी, कुणाल जैन आदि उपस्थित थे।
लोकेश जैन ढिलवारी
प्रवक्ता
दिगम्बर जैन महासंघ अजमेर
(सकल दि.जैन समाज अजमेर की प्रतिनिधि संस्था)
मो. 9829332777
