असत्य पर सत्य अधर्म पर धर्म एवं अहंकार पर करुणा की विजय का पर्व दशहरा part 1

dr. j k garg
रावण समस्त वेदों एवं वेदान्त का ज्ञाता और अत्याधिक बलशाली सम्राट सोने की लंका का स्वामी था | रावण क्रोधी और अहंकारी शासक होते हुए भी महान महान शिव भक्त था जिसे देवों के देव महादेव ने अनेको वरदानदिए थे | रावण खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन मानता था | रावण के पिता विश्रवा ऋषी थे एवं माता राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान एवं राक्षस के समान अपार शक्ति थी जिसे प्राप्त कर रावण के अंदर अहंकार कूट कूट कर भरा हुआ था था | रावण के विधर्मी कृत्यों और अत्याचारों को नष्ट करने के लिए भगवान विष्णु मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में अवतरित हुए | दशहरा का दूसरा मतलब भगवान राम के द्वारा रावण के दसों सिर जो दस पापों और दस तामसी आदतों के सूचक हैं यानि काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी इन सभी को समूल नष्ट करने का पर्व है | दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला पर्व हैं | दशहरा असत्य पर सत्य अधर्म पर धर्म एवं अहंकार पर करुणा की विजय की जीत की जश्न के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं | किसानो के लिए यह नयी फसलों के घर आने का जश्न हैं उनके लिये यह दशहरा परिश्रम से प्राप्त नई फसल प्राप्त करने का पर्व है | पुरातन काल में इस दिन औजारों एवम हथियारों की पूजा की जाती थी, क्यूंकि वे दशहरा युद्ध में मिली जीत के जश्न के तौर पर देखते थे | वास्तव में विजयादशमी आपसी रिश्तो को मजबूत करने एवम भाईचारा बढ़ाने के लिए होता हैं, जिसमे मनुष्य अपने मन में भरे घृणा एवम बैर के मेल को साफ़ करने का संकल्प लेता हैं |

राम ने आश्विन शुक्ल दशमी के दिन रावण को पराजित करके उसका का वध किया था इसलिए प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल को विजयादशमी के रूप सनातन धर्मी मनाते हैं |

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