सच्चे गुरु की संगत एवम धार्मिक आचरण से ही मनुष्य जीवन सार्थक-आर्यिका गणिनी विमल प्रभाजी

केकड़ी 10 अप्रैल (पवन राठी)
मानव जीवन के संस्कारों से ही मनुष्य उच्च सदगति प्राप्त कर सकता है, मानव जीवन में सदाचरण रूपी संस्कार जीवन में यदि प्राप्त नहीं कर सकता है तो मनुष्य जीवन सार्थक नहीं है । जीवन में अच्छे संस्कारों को डालने के लिए सच्चे गुरु की संगत एवं धार्मिक आचरण बहुत आवश्यक है ।मीडिया प्रभारी पारस जैन ने बताया कि
बोहरा कॉलोनी स्थित श्री नेमीनाथ मंदिर में विराजित आर्यिका गणिनी श्री विमल प्रभा माताजी ने मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा में अपने प्रवचन के दौरान कहे। उन्होंने कहा कि पुण्यशाली जीव ही मनुष्य जीवन पा सकता है,सोधर्म इन्द्रचक्रवर्ती एवं स्वर्गों के देव अनेक सिद्धियों के ज्ञाता है लेकिन तीर्थंकर भगवान के समोसरण शरण में भगवान की पालकी उठाने के लिए केवल मनुष्य ही इस अधिकार को प्राप्त कर सकता है।
शाम को आरती छात्र सभा एवं आनंद यात्रा का कार्यक्रम हुए ।
प्रतिदिन माता जी के प्रवचन प्रातः 8 बजे मंदिर में होंगे।

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