महापर्व पर्यूषण का सातवां दिवस आध्यात्म की आत्मिक साधना पूर्ण वातावरण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए संघनायक पूज्य गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि मोक्ष मार्ग में व्यक्ति को सतत जागृत रहने की आवश्यकता है। सोने वाला व्यक्ति अपनी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकता है। अंतगढ़दशा सूत्र में वर्णन आता है की नन्हा सा बालक अतिमुक्त कुमार भगवान महावीर की वाणी को सुनकर जागृति को प्राप्त हो जाता है। छोटी सी उम्र में माता-पिता की आज्ञा प्राप्त कर संयम जीवन को स्वीकार कर लेता है। और परिनिर्वाण यानी मोक्ष को भी प्राप्त कर लेता है। कुछ लोग यह तर्क देते हैं की छोटी उम्र में दीक्षा नहीं होनी चाहिए ,मगर अगर योग्य गुरु हो और उनके पास कच्ची मिट्टी रूप शिष्य छोटी उम्र में आता है तो अध्ययन आदि में बहुत अच्छी प्रगति कर सकता है। आचार्य श्री हस्तीमल जी महाराज, प्रवर्तक श्री पन्नालाल जी महाराज, आचार्य देवेंद्र मुनि जी, आचार्य बृज स्वामी जी आदि छोटी-छोटी उम्र में ही संयमित हुए ।और अपनी प्रतिभा के बल पर जिन शासन की गरिमा को चार चांद लगाने का प्रयास किया ।
हम विचार करें कि अतिमुक्त कुमार छोटी उम्र में ही संयमित हुए ,यह सब उनके संस्कारों का ही प्रभाव था ।उनके माता-पिता के संस्कारों की बदौलत वह अपने कल्याण करने में सक्षम हुए ।
आज के परिपेक्ष में अगर देखा जाए तो आज बालक बालिकाओं में, घर ,परिवार व समाज में संस्कारों के अंदर निरंतर कमी आती जा रही है ।खाना _पीना रहन-सहन ,पहनावा आदि का स्तर निरंतर निम्नता को प्राप्त होता जा रहा है। आज बालिकाओं और महिलाओं में फैशन के नाम पर शॉर्ट कपड़े पहनने का प्रचलन बड़ा है ।बड़े लोग पुरुष वर्ग भी घर में बहू बेटियों के सामने कम कपड़ों में घूमते नजर आते हैं ।शादी विवाह में भी आप और आपकी बहन बेटियां खुले आम कम कपड़ों में नृत्य आदि करते हैं ।आप भी अपने बच्चों और बच्चियों को डांस क्लास में भेजकर गर्व का अनुभव करते हैं। मगर संतों के पास धार्मिक पाठशाला व संस्कार शिविरों में भेजने के लिए आपके पास समय नहीं है ,तो मान के चलना कि आपका बच्चा संस्कारवान कैसे बनेगा ।अतः अपने बालक बालिकाओं को धर्म में ,साधना से, संतों से जोड़ने का ज्यादा से ज्यादा प्रयास करें ।अगर ऐसा प्रयास और पुरुषार्थ रहा तो निश्चित रूप से आनंद की स्थितियां निर्मित होगी।
परवाधीराज पर्यूषण का सातवा दिवस सात द्रव्य मर्यादा दिवस के रूप में मनाया गया। कल का दिवस सम्वत्सरी महापर्व आलोचना और पोषद दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज की धर्म सभा में नन्हे नन्हे बालक बालिकाओं ने संगीत आदि के माध्यम से अपने विचार रखे। दोपहर में 2:00 बजे से 3:30 बजे तक बालक बालिकाओं का धार्मिक संस्कार शिविर का आयोजन एवं 2:00 बजे महिलाओं की अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया है। तपस्वी साधक साधिकाओ की साधना निरंतर गतिमान है ।
धर्म सभा को पूज्य श्री विरागदर्शन जी महारासा एवं पूज्य श्री सौम्यदर्शन जी महारासा ने भी संबोधित किया।
धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा एवं हंसराज नाबेड़ा ने किया।
पदम चंद जैन