भाजपा-कांग्रेस दोनों के नेता बराबर जिम्मेदार हैं झील की दुर्दशा के लिए*
अगर आप अजमेर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हैं और वाकई अजमेर से आपको प्यार है, तो इस बार आपसे जो भी नेता आपसे वोट मांगने आए। उससे एक सवाल आनासागर झील को लेकर जरूर करना। चाहे वह नेता भाजपा के हो, चाहे कांग्रेस के। क्योंकि कभी शहर की शान रही आनासागर झील को बर्बाद होने में दोनों ही दलों के नेताओं की उपेक्षा समान रूप से जिम्मेदार हैं। इसलिए दोनों एक-दूसरे पर दोष डालकर बच नहीं सकते। सोचिए, दल और नेता विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। नई-नई योजनाएं बनाने और लागू करने के वादे करते हैं,उन दलों के नेता एक झील तक की रक्षा नहीं कर पाए।
पिछले 20 साल से अजमेर में भाजपा के विधायक हैं और दोनों यानी वासुदेव देवनानी और अनितख भदेल इस दौरान मंत्री भी रह लिए। दोनों पांच साल के लिए फिर चुने गए हैं। नगर परिषद से लेकर निगम बनने तक करीब 40 साल से भाजपा का बोर्ड है। इस दरमियान 20 साल में दो बार भाजपा की सरकार भी रही। लेकिन क्या इनमें से किसी ने झील को बचाने के लिए गंभीरता से प्रयास किया? भागीरथ चौधरी बीते 5 साल से सांसद है, क्या उन्होंने कभी आनासागर के मुद्दे को किसी भी स्तर पर उठाया? कांग्रेस भी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकती। भले ही वह लगातार पांच विधानसभा चुनाव शहर से हार रही हो। लेकिन दो बार उसकी भी सरकारी राज्य में रही है। 2018 से 23 तक उसकी ही सरकार थी? क्या उसके किसी नेता ने अपनी सरकार से झील की रक्षा के लिए कभी गुहार लगाई ? क्या उसके पार्षदों ने कभी मरती हुई झील को बचाने के लिए नगर निगम में या शहर में कहीं धरना देकर इसे मुद्दा बनाया? सड़क, नालियों और पाइप लाइनों के शिलान्यास व उद्घाटन को ही विकास मानने वाले शहर के विधायक और बाकी नेताओं को आनासागर की दुर्दशा क्यों नजर नहीं आती ?
*ओम माथुर*