जीयो जिंदगी जी भर के

श्याम कुमार राई,
सलुवावाला’

वो देखो सूरज को जलते हुए
जग को अपनी आभा लुटाते हुए
चांद की शीतल रोशनी की
शीतलता को महसूस करो

आसमान में झिलमालाते
तारों को निहार कर
रंग बिरंगी तितलियों को
फूलों पर मंडराते देखकर
क्या तुमने सुकून
महसूस नहीं किया

कल कल कर बहती
नदियों को देखकर
झरझर झरते झरनों के
मधुर संगीत को सुनकर
क्या कोई आशा-गीत
कभी नहीं गुनगुनाया!

मर्जी आपकी
गुजार दो रो-रोकर
उदास हो होकर
जीवन के ये चार पल
बस ये सोच-सोच कर
कि ….
क्या-क्या मिला है
किस किसको
और क्या-क्या
नहीं मिला मुझको…

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