– श्याम कुमार राई
‘सलुवावाला’
आज मोहब्बत का खुदा कहला रहा था।
उसे आज मैंने बेहद उदास पाया
कल जो मेरे गम में खिलखिला रहा था।
जिदगी की जंग में खायी जिसने मात
वही जीने का अंदाज सिखला रहा था।
बहारें एक दिन आएंगी मेरे दोस्त
यह कह कर वो मुझे बहला रहा था।
यह सच है, इंसा में खुदा बसते हैं ‘श्याम’
हद है वो शैतान को खुदा बतला रहा था।00